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चौथा उद्देशक]
[२१७ ___२७. गणावच्छेइए य इच्छेज्जा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए, नो से कप्पइ गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए।
कप्पइ से गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए।
नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जावगणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए।
कप्पड़ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उहिसावेत्तए।
ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। नो से कप्पइ तेसिं कारणं अदीवेत्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उदिसावेत्तए। कप्पइ से तेसिं कारणं दीवेत्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए।
२८. आयरिय-उवज्झाए य इच्छेज्जा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए, नो से कप्पइ आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खवित्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उहिसावेत्तए।
कप्पइ से आयरिय-उवज्झायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए।
नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उहिसावेत्तए।
कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अनं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए।
ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। नो से कप्पइ तेसिं कारणं अदीवेत्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। कप्पइ से तेसिं कारणं दीवेत्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए।
२६. भिक्षु यदि अन्य गण के आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिए (या उनका नेतृत्व करने के लिए) जाना चाहे तो
अपने आचार्य यावत् गणावच्छेदक को पूछे विना अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिए जाना नहीं कल्पता है।
किन्तु अपने आचार्य यावत् गणावच्छेदक को पूछकर अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।
यदि वे आज्ञा दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है।
यदि वे आज्ञा न दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है।