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________________ तीसरा उद्देशक] [१९५ ७-१० तीसरे उद्देशक का सारांश सूत्र १-२ साधु को साध्वी के उपाश्रय में और साध्वी को साधु के उपाश्रय में बैठना, सोना आदि प्रवृत्तियां नहीं करनी चाहिये। ३-६ रोमरहित चर्मखण्ड आवश्यक होने पर साधु-साध्वी ग्रहण कर सकते हैं, किन्तु सरोमचर्म उन्हें नहीं कल्पता है। आगाढ़ परिस्थितिवश गृहस्थ के सदा उपयोग में आने वाला सरोमचर्म एक रात्रि के लिये साधु ग्रहण कर सकता है किन्तु साध्वी के लिये तो उसका सर्वथा निषेध है। बहुमूल्य वस्त्र एवं अखण्ड थान या आवश्यकता से अधिक लम्बा वस्त्र साधु साध्वी को नहीं रखना चाहिये। ११-१२ गुप्तांग के निकट पहने जाने वाले लंगोट जांघिया आदि उपकरण साधु को नहीं रखना चाहिये किन्तु साध्वी को ये उपकरण रखना आवश्यक है। साध्वी को अपनी निश्रा से वस्त्र ग्रहण नहीं करना चाहिये किन्तु अन्य प्रवर्तिनी आदि की निश्रा से वह वस्त्र की याचना कर सकती है। दीक्षा लेते समय साधु-साध्वी को रजोहरण गोच्छग (प्रमार्जनिका) एवं आवश्यक पात्र ग्रहण करने चाहिये तथा मुंहपत्ति चद्दर चोलपट्टक आदि के लिये भिक्षु अधिकतम तीन थान के माप जितने वस्त्र ले सकता है एवं साध्वी चार थान के माप जितने वस्त्र ले सकती है। १६-१७ साधु-साध्वी को चातुर्मास में वस्त्र ग्रहण नहीं करना चाहिये किन्तु हेमन्त ग्रीष्म ऋतु में वे वस्त्र ले सकते हैं। १८-१९-२० स्वस्थ साधु-साध्वी को वस्त्र एवं शय्या-संस्तारक दीक्षापर्याय के अनुक्रम से ग्रहण करने चाहिये एवं वन्दना भी दीक्षापर्याय के क्रम से करनी चाहिये। २१-२३ स्वस्थ साधु-साध्वी को गृहस्थ के घर में बैठना आदि सूत्रोक्त कार्य नहीं करने चाहिये तथा वहां अमर्यादित वार्तालाप या उपदेश भी नहीं देना चाहिये। आवश्यक हो तो खड़े-खड़े ही मर्यादित कथन किया जा सकता है। २४-२६ शय्यातर एवं अन्य गृहस्थ के शय्या-संस्तारक को विहार करने के पूर्व अवश्य लौटा देना चाहिये तथा जिस अवस्था में ग्रहण किया हो, वैसा ही व्यवस्थित करके लौटाना चाहिये। शय्या-संस्तारक खो जाने पर उसकी खोज करना एवं न मिलने पर उसके स्वामी को खो जाने की सूचना देकर अन्य शय्या-संस्तारक ग्रहण करना। यदि खोज करने
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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