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[बृहत्कल्पसूत्र स्वस्थान और परस्थान का अर्थ यह है कि यदि उस उपाश्रय में पुरुषों के चित्र, मूर्तियां हों और पुरुषों के ही गीत, नृत्य, नाटकादि होते हों तो वह साधुओं के लिए द्रव्य-सागारिक है और साध्वियों के लिए भाव-सागारिक है।
इसी प्रकार जिस उपाश्रय में स्त्रियों के चित्र, मूर्ति आदि हों और उनके गीत, नृत्य, नाटकादि होते हों तो वह उपाश्रय पुरुषों के लिए भाव-सागारिक है और स्त्रियों के लिए द्रव्य-सागारिक है। साधु
और साध्वियों को इन दोनों ही प्रकार के (द्रव्य-सागारिक और भाव-सागारिक) उपाश्रयों में रहना योग्य नहीं है।
____ यद्यपि प्रथम सूत्र में द्रव्य और भावसागारिक उपाश्रयों में रहने का जो स्पष्ट निषेध किया है वह उत्सर्गमार्ग है, किन्तु विचरते हुए साधु-साध्वियों को उक्त दोष-रहित निर्दोष उपाश्रय ठहरने को न मिले तो ऐसी दशा में द्रव्य-सागारिक उपाश्रय में साधु या साध्वी ठहर सकते हैं। किन्तु भाव सागारिक उपाश्रय में नहीं ठहर सकते, यह सूत्रचतुष्क में बताया गया है।
सारांश यह है कि उत्सर्ग मार्ग से साधु-साध्वी को द्रव्य एवं भावसागारिक उपाश्रय में नहीं ठहरना चाहिये किन्तु अपवादमार्ग से द्रव्य-सागारिक उपाश्रय में ठहर सकते हैं। प्रतिबद्धशय्या में ठहरने का विधि-निषेध
३०. नो कप्पइ निग्गंथाणं पडिबद्ध-सेज्जाए वत्थए। ३१. कप्पइ निग्गंथीणं पडिबद्ध-सेजाए वत्थए। ३०. निर्ग्रन्थों को प्रतिबद्धशय्या में रहना नहीं कल्पता है। ३१. निर्ग्रन्थियों को प्रतिबद्धशय्या में रहना कल्पता है। विवेचन-प्रतिबद्ध उपाश्रय दो प्रकार का होता है-१. द्रव्य-प्रतिबद्ध, २. भाव-प्रतिबद्ध।
१. जिस उपाश्रय में छत के बलधारण अर्थात् छत के पाट गृहस्थ के घर से सम्बद्ध हों, उसे द्रव्यप्रतिबद्ध उपाश्रय कहा गया है।
२. भावप्रतिबद्ध उपाश्रय चार प्रकार का होता है
१. जहां पर स्त्री और साधुओं के मूत्रादि करने का स्थान एक ही हो। २. जहां स्त्री एवं साधुओं के बैठने का स्थान एक ही हो। ३. जहां पर सहज ही स्त्री का रूप दिखाई देता हो।
४. जहां पर बैठने से स्त्री के भाषा, आभूषण एवं मैथुन सम्बन्धी शब्द सुनाई देते हों। द्रव्य-प्रतिबद्ध उपाश्रय में स्वाध्याय आदि की ध्वनि गृहस्थ को एवं गृहस्थ के कार्यों की ध्वनि साधु को बाधक हो सकती है तथा एक दूसरे के कार्यों में व्याघात भी हो सकता है।
भाव-प्रतिबद्ध उपाश्रय संयम एवं ब्रह्मचर्य के भावों में बाधक बन सकता है। अतः द्रव्यभाव-प्रतिबद्धशय्या में ठहरना योग्य नहीं है।