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________________ दसवीं दशा] [९७ उच्चारपासवणखेलजल्लसिंघाणगवंतपित्तसुक्कसोणियसमुब्भवा। दुरूवउस्सासनिस्सासा, दुरंतमुत्तपुरीसपुण्णा, वंतासवा, पित्तासवा, खेलासवा, पच्छापुरं च णं अवस्सं विप्पजहणिज्जा। संति उड्ढं देवा देवलोयंसि। ते णं तत्थ अण्णेसिं देवाणं देवीओ अभिमुंजिय अभिमुंजिय परियारेंति अप्पणो चेव अप्पाणं विउव्विय विउव्विय परियारेंति, अप्पणिज्जयाओ देवीओ अभिजुंजिय अभिमुंजिय परियारेति। 'जइ इमस्स सुचरियतवनियमबंभचेरवासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अत्थितं अहमवि आगमेस्साए इमाइं एयारूवाइं दिव्वाइं भोगाइं भुंजमाणे विहरामि-से तं साहु।' एवंखलु समणाउसो!णिग्गंथो वाणिग्गंथी वाणियाणं किच्चा जाव' देवे भवइ महिड्डिए जाव' दिव्वाइं भोगाइं भुंजमाणे विहरइ। से णं तत्थ अण्णेसिं देवाणं देवीओ अभिजुंजिय अभिजुंजिय परियारेइ, अप्पणो चेव अप्पाणं विउव्विय विउव्विय परियारेइ, अप्पणिज्जयाओ देवीओ अभिजुंजिय अभिजुंजिय परियारेइ। सेणं ताओ देवलोगाओ आउक्खएणंजाव पुमत्ताए पच्चायाति जाव तस्सणं एगमवि आणवेमाणस्स जाव चत्तारिपंच अवुत्ता चेव अभुटेंति-'भण देवाणुप्पिया! किं करेमो जाव किं ते आसगस्स सयइ?' प०-तस्स णं तहप्पगारस्स पुरिसजायस्स तहारूवे समणे वा माहणे वा उभओ कालं केवलिपण्णत्तं धम्ममाइक्खेज्जा? उ०-हंता! आइक्खेज्जा। प०-से णं पडिसुणिज्जा? उ०-हंता! पडिसुणिज्जा। प०-से णं सद्दहेज्जा, पत्तिएज्जा, रोएज्जा? उ०-णो तिणढे समठे।अभविए णं से तस्स धम्मस्स सद्दहणयाए। सेय भवति महिच्छे जाव दाहिणगामिएणेरइए कण्हपक्खिए आगमेस्साए दुल्लभबोहिए यावि भवति। एवं खलु समणाउसो! तस्स णियाणस्स इमेयारूवे पावए फलविवागे-जंणो संचाएति केवलिपण्णत्तं धम्मं सदहित्तए वा, पत्तियत्तिए वा, रोइत्तए वा। हे आयुष्मन् श्रमणो! मैंने धर्म का प्रतिपादन किया है। यही निर्ग्रन्थ-प्रवचन सत्य है यावत् सब दुःखों का अन्त करते हैं। १-६. प्रथम निदान में देखें।
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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