SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८ ] पंचमासिकी भिक्षुप्रतिमा जाती है। जाती है। विशेष यह है कि उसे प्रतिदिन भोजन की पांच दत्तियां और पानी की पांच दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। षाण्मासिकी भिक्षुप्रतिमा [ दशाश्रुतस्कन्ध पंचमासियं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स जाव आणाए अणुपालित्ता भवइ । वरं पंच दत्तिओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पंच पाणस्स । पांच मास की भिक्षुप्रतिमाप्रतिपन्न अनगार के द्वारा यावत् वह प्रतिमा जिनाज्ञानुसार पालन की जाती है। छमासियं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स जाव आणाए अणुपालित्ता भवइ । वरं छ दत्तिओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, छ पाणस्स । छह मास की भिक्षुप्रतिमाप्रतिपन्न अनगार के द्वारा यावत् वह प्रतिमा जिनाज्ञानुसार पालन की कल्पता है। सप्तमासिकी भिक्षुप्रतिमा विशेष यह है कि उसे प्रतिदिन भोजन की छह दत्तियां और पानी की छह दत्तियां ग्रहण करना सत्तमासियं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स जाव आणाए अणुपालित्ता भवइ । वरं सत्त दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, सत्त पाणस्स । सात मास की भिक्षुप्रतिमाप्रतिपन्न अनगार के द्वारा यावत् वह प्रतिमा जिनाज्ञानुसार पालन की विशेष यह है कि उसे प्रतिदिन भोजन की सात दत्तियां और पानी की सात दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है 1 प्रथम सप्त अहोरात्रिकी भिक्षुप्रतिमा पढमं सत्तइंदियं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स जाव अहियासेज्जा । कप्पइ से चउत्थेणं भत्तेणं अपाणएणं बहिया गामस्स वा जाव रायहाणीए वा उत्ताणस्स वा, पासिल्लगस्स वा, नेसिज्जयस्स वा ठाणं ठाइत्तए । तत्थ से दिव्वमाणुस्सतिरिक्खजोणिया उवसग्गा समुप्पज्जेज्जा, ते णं उवसग्गा पयलेज्ज वा, पवडेज्ज वा, णो से कप्पड़ पयलित्तए वा पवडित्तए वा । तत्थ णं उच्चारपासवणेणं उब्बाहिज्जा, णो से कप्पइ उच्चारपासवणं उगिण्हित्तए वा, गित्ति वा कप्पड़ से पुव्वपडिलेहियंसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं परिट्ठवित्तए, अहाविहिमेव ठाणं ठाइत्तए ।
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy