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________________ ५४] [दशाश्रुतस्कन्ध प्रतिमाधारी को अग्नि का उपसर्ग मासियंणं भिक्खुपडिमं पडिवनस्सअणगारस्स केई उवस्सयं अगणिकाएणं झामेज्जा, णो से कप्पति तं पडुच्च निक्खमित्तए वा, पविसित्तए वा। तत्थणं केइ बाहाए गहाय आगसेज्जा, नो से कप्पति तं अवलंबित्तए वा पलंबित्तए वा, कप्पति अहारियं रीइत्तए। ____एकमासिकी भिक्षुप्रतिमाधारी अनगार के उपाश्रय में कोई अग्नि लगा दे तो उसे उपाश्रय से बाहर जाना या बाहर हो तो अन्दर आना नहीं कल्पता है। यदि कोई उसे भुजा पकड़कर.बलपूर्वक बाहर निकालना चाहे तो उसका अवलंबन-प्रलंबन करना नहीं कल्पता है, किन्तु ईर्यासमितिपूर्वक बाहर निकलना कल्पता है। प्रतिमाधारी को ढूंठा आदि निकालने का निषेध मासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स पायंसि खाणू वा, कंबए वा, हीरए वा, सक्करए वा अणुपवेसेज्जा, नो से कप्पइ नीहरित्तए वा, विसोहित्तए वा, कप्पति से अहारियं रीइत्तए। एकमासिकी भिक्षुप्रतिमाधारी अनगार पैर में यदि तीक्ष्ण ढूंठ (लकड़ी का तिनका आदि), कांटा, कांच या कंकर लग जावे तो उसे निकालना या उसकी विशुद्धि करना नहीं कल्पता है, किन्तु उसे सावधानी से ईर्यासमितिपूर्वक चलते रहना कल्पता है। प्रतिमाधारी को प्राणी आदि निकालने का निषेध मासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवनस्स अणगारस्स अच्छिसि पाणाणि वा, बीयाणि वा, रए वा परियावज्जेज्जा, नो से कप्पति नीहरित्तए वा, विसोहित्तए वा, कप्पति से अहारियं रीइत्तए। ___ एकमासिकी भिक्षुप्रतिमाधारी अनगार की आंख में सूक्ष्म प्राणी, बीज, रज आदि गिर जावे तो उसे निकालना या विशुद्ध करना नहीं कल्पता है, किन्तु उसे सावधानी से ईर्यासमितिपूर्वक चलते रहना कल्पता है। सूर्यास्त होने पर विहार का निषेध मासियंणं भिक्खुपडिमं पडिवनस्स अणगारस्स जत्थेव सूरिए अस्थमज्जा-जलंसि वा, थलंसि वा, दुग्गंसि वा, निण्णंसि वा, पव्वयंसि वा, विसमंसि वा, गड्डाए वा, दरीए वा, कप्पति से तं रयणी तत्थेव उवाइणावित्तए, नो से कप्पति पयमवि गमित्तए। कप्पति से कल्लं पाउप्पभाए रयणीयए जावजलंते पाइणाभिमुहस्सवा, दाहिणाभिमुहस्स वा, पडीणाभिमुहस्स वा, उत्तराभिमुहस्स वा, अहारियं रीइत्तए। ___ एकमासिकी भिक्षुप्रतिमाधारी अनगार को विहार करते हुए जहां सूर्यास्त हो जाय, वहां चाहे
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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