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________________ ८२ ] [ पुष्पिका पर्याय का पालन किया। पालन करके वह अर्धमासिक संलेखना द्वारा आत्मा को परिशोधित कर, अनशन द्वारा तीस भोजनों को छोड़कर और अकरणीय पाप-स्थान-सावध कार्यों की आलोचनाप्रतिक्रमण किये बिना ही मरण के समय मरण करके सौधर्मकल्प के बहुपुत्रिका विमान की उपपातसभा में देवदूष्य से आच्छादित देवशैया पर अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण अवगाहना से बहुपुत्रिका देवी के रूप में उत्पन्न हुई। ____ तत्पश्चात् उत्पन्न होते ही वह बहुपुत्रिका देवी भाषा-मनःपर्याप्ति आदि पांच प्रकार की पर्याप्तियों से पर्याप्त अवस्था को प्राप्त होकर देवी रूप में रहने लगी। - गौतम! इस प्रकार बहुपुत्रिका देवी ने वह दिव्य देव-ऋद्धि एवं देवद्युति प्राप्त की है यावत् उसके सन्मुख आई है। गौतम की पुनः जिज्ञासा ४५. 'से केणढेणं, भन्ते! एवं वुच्चइ बहुपुत्तिया देवी बहुपुत्तिया देवी ?' 'गोयमा, बहुपुत्तिया णं देवी जाहे जाहे सक्कस्स देविन्दस्स देवरन्नो उवत्थाणियणं वरेइ, ताहे ताहे बहवे दारए य दारियाओ य डिम्भए य डिम्भियाओ य विउव्वइ, विउवित्ता सक्के देविन्दे देवराया, तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सक्कस्स देविन्दस्स देवरन्नो दिव्वं देविड्ढिं दिव्व देवज्जुई दिव्वं देवाणुभावं उवदंसेइ। से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ बहुपुत्तिया देवी २।' 'बहुपुत्तियाणं भन्ते! देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?' 'गोयमा! चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता।' 'बहुपुत्तिया णं भन्ते, देवी ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएण' अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ?' _ 'गोयमा! इहेव जम्बुद्दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले विभेलसंनिवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहिइ।' तए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कन्ते जाव बारसेहिं दिवसेहिं वीइक्कन्तेहिं अयमेयारूवं नामधेनं करेन्ति – 'होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए नामधेनं सोमा।' ४५. तत्पश्चात् गौतम स्वामी ने पुनः भगवान् से पूछा – 'भदन्त ! किस कारण से बहुपुत्रिका देवी को बहुपुत्रिका कहते हैं ?' भगवान् ने उत्तर दिया - 'गौतम! जब-जब वह बहुपुत्रिका देवी देवेन्द्र देवराज शक्र के पास जाती तब-तब वह बहुत से बालक-बलिकाओं, बच्चे-बच्चियों की विकुर्वणा करती। विकुर्वणा करके जहाँ देवेन्द्र-देवराज शक्र आसीन होते, वहां जाती। जाकर उन देवेन्द्र-देवराज शक्र के समक्ष अपनी दिव्य देवत्रद्धि, दिव्य देवधुति एवं दिव्य देवानुभाव - प्रभाव को प्रदर्शित करती। इसी कारण हे गौतम! वह बहुपुत्रिका देवी 'बहुपुत्रिका' कहलाती है अथवा उसे 'बहुपुत्रिका देवी' कहते हैं।
SR No.003461
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size4 MB
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