________________
सप्तम वक्षस्कार]
[३९९
सूर्य के विमान से चन्द्रमा का विमान ८० योजन के अन्तर पर, ऊँचाई पर गति करता है। उपरितन तारारूप ज्योतिशचक्र सूर्यविमान से १०० योजन के अन्तर पर, ऊँचाई पर गति करता है। वह चन्द्रविमान से २० योजन दूरी पर, ऊँचाई पर गति करता है।
१९९. जम्बूद्दीवे णंदीवे अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ते सव्वब्भंतरिल्लं चारं चरइ ? कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरं चारं चरइ ? कयरे सव्वहिट्ठिल्लं चारं चरइ, कयरे सव्वउवरिल्लं चारं चरइ ?
गोयमा ! अभई णक्खत्ते सव्वब्भंतरं चारं चरइ, मूलो सव्वबाहिरं चार चरइ, भरणी सव्वहिट्ठिलगं, साइ सव्वुवरिल्लगं चारं चरइ।
चन्दविमाणे णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! अद्धकविट्ठसंठाणसंठिए, सव्वफालिआमए अब्भुग्गयमूसिए, एवंसव्वाइंणेअव्वाइं।
चन्दविमाणे णं भंते ! केवइयं आयाम-विक्खभेणं, केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते ? . गोयमा ! छप्पण्णं खलु भाए विच्छिण्णं चन्दमंडलं होइ।
अट्ठावीसं भाए बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं ॥१॥ अडयालीसं भाए विच्छिण्णं सूरमंडलं होइ।। चउवीसं खलु भाए बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं ॥२॥ दो कोसे अ गहाणं णक्खात्ताणं तु हवइ तस्सद्धं ।
तस्सद्धं ताराणं तस्सद्धं चेव बाहल्लं॥३॥ [१९९] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत अट्ठाईस नक्षत्रों में कौनसा नक्षत्र सर्व मण्डलों के भीतरभीतर के मण्डल से होता हुआ गति करता है ? कौनसा नक्षत्र समस्त मण्डलों के बाहर होता हुआ गति करता है ? कौनसा नक्षत्र सब मण्डलों के नीचे होता हुआ गति करता है ? कौनसा नक्षत्र सब मण्डलों के ऊपर होता हुआ गति करता है ?
गौतम ! अभिजित् नक्षत्र सर्वाभ्यन्तर-मण्डल में से होता हुआ गति करता है। मूल नक्षत्र सब मण्डलों के बाहर होता हुआ गति करता है। भरणी नक्षत्र सब मण्डलों के नीचे होता हुआ गति करता है। स्वाति नक्षत्र सब मण्डलों के ऊपर होता हुआ गति करता है।
भगवन् ! चन्द्रविमान का संस्थान-आकार कैसा बतलाया गया है ?
गौतम ! चन्द्रविमान ऊपर की ओर मुँह कर रखे हुए आधे कपित्थ के फल के आकार का बतलाया गया है। वह सम्पूर्णतः स्फटिकमय है। अति उन्नत है, इत्यादि। सूर्य आदि सर्व ज्योतिष्क देवों के विमान इसी प्रकार के समझने चाहिए।
भगवन् ! चन्द्रविमान कितना लम्बा-चौड़ा तथा ऊँचा बतलाया गया है ?