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________________ सप्तम वक्षस्कार] [३८९ भगवन् ! श्रावणी अमावस्या के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! श्रावणी अमावस्या के साथ अश्लेषा तथा मघा-इन दो नक्षत्रों का योग होता है। भगवन् ! भाद्रपदी अमावस्या के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! भाद्रपदी अमावस्या के साथ पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी-इन दो नक्षत्रों का योग होता भगवन् ! आसौजी अमावस्या के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! आसौजी अमावस्या के साथ हस्त एवं चित्रा-इन दो नक्षत्रों का, कार्तिकी अमावस्या के साथ स्वाति और विशाखा-दो नक्षत्रों का, मार्गशीर्षी अमावस्या के साथ अनुराधा, ज्येष्ठा तथा मूल-इन तीन नक्षत्रों का पौषी अमावस्या के साथ पूर्वाषाढा तथा उत्तराषाढा-इन दो नक्षत्रों का, माघी अमावस्या के साथ अभिजित्, श्रवण और धनिष्ठा-इन तीन नक्षत्रों का, फाल्गुनी अमावस्या के साथ शतभिषक्, पूर्वभाद्रपदा एवं उत्तरभाद्रपदा-इन तीन नक्षत्रों का, चैत्री अमावस्या के साथ रेवती और अश्विनी-इन दो नक्षत्रों का, वैशाखी अमावस्या के साथ भरणी तथा कृत्तिका-इन दो नक्षत्रों का, ज्येष्ठामूला अमावस्या के साथ रोहिणी एवं मृगशिर-इन दो नक्षत्रों का और आषाढी अमावस्या के साथ आर्द्रा, पुनर्वसु तथा पुष्यइन तीन नक्षत्रों का योग होता है। - भगवन् ! श्रावणी अमावस्या के साथ क्या कुल का योग होता है ? उपकुल का योग होता है ? कुलोपकुल का योग होता है ? गौतम ! श्रावणी अमावस्या के साथ कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का योग नहीं होता। कुलयोग के अन्तर्गत मघा नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग के अन्तर्गत अश्लेषा नक्षत्र का योग होता है। उपसंहार-रूप में विवक्षित है-श्रावणी अमावस्या के साथ कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है। यों वह कुलयोगयुक्त, उपकुलयोगयुक्त होती है। भगवन् ! क्या भाद्रपदी अमावस्या के साथ क्या कुल, उपकुल और कुलोपकुल का योग होता है? गौतम ! भाद्रपदी अमावस्या के साथ कु ल एवं उपकुल-इन दो का योग होता है। कुलयोग के अन्तर्गत उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का योग होता है। उपकुलयोग के अन्तर्गत पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का योग होता है। (उपसंहार-रूप में विवक्षित है-भाद्रपदी अमावस्या के साथ कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है। यों वह कुलयोगयुक्त होती है, उपकुलयोगयुक्त होती है।) मार्गशीर्षी अमावस्या के साथ कुलयोग के अन्तर्गत मूल नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग अन्तर्गत ज्येष्ठा नक्षत्र का योग होता है तथा कुलोपकुलयोग के अन्तर्गत अनुराधा नक्षत्र का योग होता है। आगे की वक्तव्यता पूर्वानुरूप है।
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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