SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 451
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८८] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र उपसंहार-रुप मं विवक्षित है-श्रावणी पूर्णमासी के साथ कुल, (उपकुल) तथा कुलोपकुल का योग होता है यों श्रावणी पूर्णमासी कुलयोगयुक्त, उपकुलयोगयुक्त तथा कुलोपकुलयोगयुक्त होती है। भगवन् ! भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ क्या कुल का योग होता है ? क्या उपकुल का योग होता है? क्या कुलोपकुल का योग होता है ? ___ गौतम ! कुल, उपकुल तथा कुलोपकुल का योग होता है. कुलयोग के अन्तर्गत उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग के अन्तर्गत पूर्वभाद्रपदा नक्षत्र का योग होता है। कुलोपकुलयोग के अन्तर्गत शतभिषक् नक्षत्र का योग होता है। उपसंहार-रूप में विवक्षित हैं-भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ कुल का योग होता है। (उपकुल का योग होता है), कुलोपकुल का योग होता है ।यों भाद्रपदी पूर्णिमा कुलयोगयुक्त उपकुलयोगयुक्त तथा कुलोपकुलयोगयुक्त होती है। भगवन् ! आसौजी पूर्णिमा के साथ क्या कुल का योग होता है ? उपकुल का योग होता है ? कुलोपकुल का योग होता है ? गौतम ! कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का योग नहीं होता। कुलयोग के अन्तर्गत अश्विनी नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग के अन्तर्गत रेवती नक्षत्र का योग होता है। उपसंहार-रूप में विवक्षित है-आसौजी पूर्णिमा के सात कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है। यों आसौजी पूर्णिमा कुलयोगयुक्त, उपकुलयोगयुक्त होती है। भगवन् ! कार्तिकी पूर्णिमा के साथ क्या कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का योग होता है ? गौतम ! कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का योग नहीं होता। कुलयोग के अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग के अन्तर्गत भरणी नक्षत्र का योग होता है। उपसंहार-कार्तिकी पूर्णिमा के सात कुल का एवं उपकुल का योग होता है। यों वह कुलयोगयुक्त, तथा उपकुलयोगयुक्त होती है। भगवन् ! मार्गशीर्षी पूर्णिमा के साथ क्या कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का योग होता है ? गौतम ! दो का कुल का एवं उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का योग नहीं होता। कुलयोग के अन्तर्गत मृगशिर नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग के अन्तर्गत रोहिणी नक्षत्र का योग होता है। मार्गशीर्षी पूर्णिमा के सम्बन्ध में आगे वक्तव्यता पूर्वानुरूप है। आषाढी पूर्णिमा तक का वर्णन वैसा ही है। इतना अन्तर है-पौषी तथा ज्येष्ठामूली पूर्णिमा के साथ कुल, उपकुल तथा कुलोपकुल का योग होता है। बाकी की पूर्णिमाओं के साथ कुल एवं उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का योग नहीं होता।
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy