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________________ सप्तम वक्षस्कार [३८३ अवसेसा णक्खत्ता, पण्णरस वि सूरसहगया जंति। बारस चेव मुहुत्ते, तेरस य समे अहोरत्ते ॥४॥ [१९३] भगवन् ! अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित् नक्षत्र कितने मुहूर्त पर्यन्त चन्द्रमा के साथ योगयुक्त रहता है ? गौतम ! अभिजित् नक्षत्र चन्द्रमा के साथ ९२७) मुहूर्त पर्यन्त योगयुक्त रहता है। इन निम्नांकित गाथाओं द्वारा नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योग ज्ञातव्य है गाथार्थ-अभिजित् नक्षत्र का चन्द्रमा के साथ एक अहोरात्र में-३०मुहूर्त में उनके २६/ भाग परिमित योग रहता है। इससे अभिजित् चन्द्रयोग काल "/,४२१/ = ६३०/ =९२७, मुहूर्त फलित होता है। शतभिषक्, भ्रणी, आर्द्रा, अश्लेषा, स्वाति एवं ज्येष्ठा-इन छह नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ १५ मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। ____तीनों उत्तरा-उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढा तथा उत्तरभाद्रपदा, पुनर्वसु, रोहिणी तथा विशाखा-इन छह नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ ४५ मुहूर्त योग रहता है। बाकी पन्द्रह नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ ३० मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। यह नक्षत्र-चन्द्र-योग-क्रम है। भगवन् ! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित् नक्षत्र सूर्य के साथ कितने अहोरात्र पर्यन्त योगयुक्त रहता है ? गौतम ! अभिजित् नक्षत्र सूर्य के साथ ४ अहोरात्र एवं ६ मुहूर्त पर्यन्त योगयुक्त रहता है। इन निम्नांकित गाथाओं द्वारा नक्षत्र-सूर्ययोग ज्ञातव्य है गाथार्थ-अभिजित् नक्षत्र का सूर्य के साथ ४ अहोरात्र तथा ६ मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है । शतभिषक्, भरणी, आर्द्रा, अश्लेषा, स्वाति तथा ज्येष्ठा-इन नक्षत्रों का सूर्य के साथ ६ अहोरात्र तथा २१ मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। तीनों उत्तरा-उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढा तथा उत्तरभाद्रपदा, पुनर्वसु, रोहिणी तथा विशाखा-इन नक्षत्रों का सूर्य के साथ २० अहोरात्र और ३ मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। बाकी के पन्द्रह नक्षत्रों का सूर्य के साथ १३ अहोरात्र तथा १२ मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। कुल-उपकुल-कुलोपकुल : पूर्णिमा, अमावस्या १९४. कति णं भंते ! कुला, कति उवकुला, कति कुलोवकुला पण्णत्ता ? गोयमा ! बारस कुला, बारस उपकुला, चत्तारि कुलोवकुला पण्णत्ता । बारस कुला, तं जहा-धणिट्ठाकुलं १, उत्तरभद्दवयाकुलं २, अस्सिणीकुलं ३,
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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