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________________ सप्तम वक्षस्कार] [३६५ एते णं भंते ! अट्ठ णक्खत्तमण्डला कतिहिं चंदमण्डलेहिं समोअरंति ? गोयमा ! अट्ठहिं चंदमण्डलेहिं समोअरंति, तंजहा-पढमे चंदमण्डले, ततिए छटे, सत्तमे, अट्ठमे, दसमे, इक्कारसमे, पण्णरसमे चंदमण्डले। एगमेगेणं भंते ! मुहुत्तेणं केवइआई भागसयाइं गच्छइ ? गोयमा ! जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तस्स २ मण्डलपरिक्खेवस्स सत्तरस अट्ठसट्टे भागसए गच्छइ, मण्डलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउइए अ सएहिं छेत्ता इति। एगमेगेणं भंते ! मुहुत्तेणं सूरिए केवइआई भागसयाइं गच्छइ ? गोयमा ! जंजं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स २ मण्डलपरिक्खेवस्स अट्ठारसतीसे भागसए गच्छइ, मण्डलं सयसहस्सेहिं अट्ठाणउतीए असएहिं छत्ता। एगमेगेणं भंते ! मुहुत्तेणं णक्खत्ते केवइआई भागसयाई गच्छइ ? गोयमा ! जंजं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तस्स तस्स मण्डलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसए गच्छइ मण्डलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउईण अ सएहिं छेत्ता। [१८२] भगवन् ! नक्षत्रमण्डल कितने बतलाये गये हैं ? गौतम ! नक्षत्रमण्डल आठ १ बतलाये गये हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप में कियत्प्रमाण क्षेत्र का अवगाहन कर कितने नक्षत्रमण्डल हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप में १८० योजन क्षेत्र का अवगाहन कर दो नक्षत्रमण्डल है। भगवन् ! लवणसमुद्र में कितने क्षेत्र का अवगाहन कर कितने नक्षत्रमण्डल है ? पौतम ! लवणसमुद्र में ३३० योजन क्षेत्र का अवगाहन कर छह नक्षत्रमण्डल हैं। यों जम्बूद्वीप तथा लवणसमुद्र के नक्षत्रमण्डलों को मिलाने से आठ नक्षत्रमण्डल होते हैं। भगवन् ! सर्वाभ्यन्तर नक्षत्रमण्डल से सर्वबाह्य नक्षत्रमण्डल कितनी अव्यवहित दूरी पर बतलाया गया है ? ___ गौतम ! सर्वाभ्यन्तर नक्षत्रमण्डल से सर्वबाह्य नक्षत्रमण्डल ५१० योजन की अव्यवहित दूरी पर बतलाया गया है। भगवन् ! एक नक्षत्रमण्डल से दूसरे नक्षत्रमण्डल का अन्तर-दूरी अव्यवहित रूप में कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! एक नक्षत्रमण्डल से दूसरे नक्षत्रमण्डल की दूरी अव्यवहित रूप में दो योजन बतलाई गई १. नक्षत्र २८ हैं। प्रत्येक का एक-एक मण्डल होने से नक्षत्रमण्डल भी २८ कहे जाने चाहिए, किंतु यहाँ आठ नक्षत्रमण्डल के रूप में कथन उनके संचरण के आधार पर है, जो उनके प्रतिनियत मण्डलों के माध्यम से आठ ही मण्डलों में सन्निविष्ट होता है।
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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