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[जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
पच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ।एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवेदीवे महाविदेहे वासे दस सलिलासय-सहस्सा चउसद्धिं च सलिला-सहस्सा भवन्तीतिमक्खायं।
___ जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं केवइया सलिला-सय-सहस्सा पुरस्थिमपच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुई समप्यति ?
गोयमा ! एगे छण्णउए सलिला-सय-सहस्से पुरथिम-पच्चत्थिमाभिमुहे लवणसमुदं समप्यतित्ति।
___ जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं केवइया सलिला-सय-सहस्सा पुरथिमपच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुहं समप्यति ? ____ गोयमा ! एगे छण्णउए सलिला-सय-सहस्से पुरत्थिम-पच्चत्थिमाभिमुहे (लवणसमुई) समप्पेइ।
जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइआ सलिला-सय-सहस्सा पुरत्थाभिमुहा लवणसमुई समप्येति ?
गोयमा ! सत्त सलिला-सय-सहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा (लवणसमुई) समप्येति।
जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइआ सलिला-सय-सहस्सा पच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुहं समप्येति ?
गोयमा ! सत्त-सलिला-सय-सहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा (लवणसमुदं) समप्पेंति।
एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चोइस सलिला-सय-सहस्सा छप्पण्णं च सहस्सा भवंतीतिमक्खायं इति।
[१५८] खण्ड, योजन, वर्ष, पर्वत, कूट, तीर्थ, श्रेणियां, विजय, द्रह, तथा नदियाँ-इनका प्रस्तुत सूत्र में वर्णन है, जिनकी यह संग्राहिका गाथा है।
१. भगवन् ! (एक लाख योजन विस्तार वाले) जम्बूद्वीप के (५२६६ . योजन विस्तृत) भरतक्षेत्र के प्रमाण जितने-भरतक्षेत्र के बराबर खण्ड किये जाएं तो वे कितने होते हैं ?
गौतम ! खण्डगणित के अनुसार वे एक सौ नब्बे होते हैं। २. भगवन् ! योजनगणित के अनुसार जम्बूद्वीप का कितना प्रमाण कहा गया है ?
गौतम ! जम्बूद्वीप का क्षेत्रफल-प्रमाण (७९०५६९४१५०) सात अरब नब्बे करोड़ छप्पन लाख चौरानवे हजार एक सौ पचास योजन कहा गया है।
३. भगवन् ! जम्बूद्वीप में कितने वर्ष-क्षेत्र बतलाये गये हैं ?
गौतम ! जम्बूद्वीप में सात वर्ष-क्षेत्र बतलाये गये हैं-१. भरत, २. ऐरावत, ३. हैमवत, ४. हैरण्यवत, ५. हरिवर्ष, ६. रम्यकवर्ष तथा ७. महाविदेह ।