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________________ २४८] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र पुष्कलावती विजय १२१. कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे पुक्खलावई णामं चक्कवट्टिविजए पण्णत्ते? गोयमा ! णीलवन्तस्स दक्खिणेणं, सीआए उत्तरेणं, उत्तरिल्लस्स सीआमुहवणस्स पच्चत्थिमेणं, एगसेलस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे पुक्खलावई णामं विजए पण्णत्ते, उत्तरदाहिणायए एवं जहा कच्छविजयस्स जाव पुक्खलावई अ इत्थ देवे परिवसइ, एएणद्वेण। [१२१] भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में पुष्कलावती नामक चक्रवर्ति-विजय कहाँ बतलाया गया है? गौतम ! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, उत्तरवर्ती शीतामुखवन के पश्चिम में, एकशैल वक्षस्कारपर्वत के पूर्व में महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत पुष्कलावती नामक विजय बतलाया गया है। वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है-इत्यादि सारा वर्णन कच्छविजय की ज्यों है। उसमें पुष्कलावती नामक देव निवास करता है। इस कारण पुष्कलावती विजय कहा जाता है। उत्तरी शीतामुख वन _ १२२. कहिणं भंते ! महाविदेहे वासे सीआए महाणईए उत्तरिल्ले सीआमुहवणे णामं वणे पण्णत्ते ? गोयमा ! णीलवन्तस्स दक्खिणेणं, सीआए उत्तरेणं, पुरथिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, पुक्खलावइचक्कवट्टिविजयस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं सीआमुहवणे णामं वणे पण्णत्ते। उत्तरदाहिणायए, पाईणपडीणवित्थिण्णे, सोलसजोअणसहस्साई पञ्च य बाणउए जोअणसए दोण्णि अ एगूणवीसइभाए जोअणस्स आयामेणं, सीआए महाणईए अन्तेणं दो जोअणसहस्साइं नव य वावीसे जोअणसए विक्खम्भेणं। तयणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणे २ णीलवन्तवास-हरपव्वयंतेणं एगं एगूणवीसइभागंजोअणस्स विक्खम्भेणंति। से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसण्डेणं संपरिक्खित्तं वण्णओ सीआमुहवणस्स जाव' देवा आसयन्ति, एवं उत्तरिल्लं पासं समत्तं । विजया भणिआ।रायहाणीओ इमाओ १. खेमा, २.खेमपुरा चेव, ३. रिट्ठा, ४. रिट्ठपुरा तहा।। ५. खग्गी, ६. मंजूसा, अवि अ ७. ओसही, ८. पुंडरीगिणी॥१॥ सोलस विजाहरसेढीओ, तावइआओ अभिओगसेढीओ सव्वाओ इमाओ ईसाणस्स, सव्वेसु विजएसु कच्चवत्तव्वया जाव अट्ठो, रायाणो सरिसणामगा, विजएसु सोलसण्हं वक्खारपव्वयाणं चित्तकूडवत्तव्वया जाव कूडा चत्तारि २, बारसण्हं णईणं गाहावइवत्तव्वया जाव उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं वणसण्डेहि अवण्णओ। [१२२] भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में शीता महानदी के उत्तर में शीतामुख नामक वन कहाँ बतलाया गया है ?
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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