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चतुर्थ वक्षस्कार]
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पणवीसट्ठारस बारसेव मूले अ मज्झि उवरिं च ।
सविसेसाइं परिरओ कूडस्स इमस्स बोद्धवो ॥१॥ मूले वित्थिण्णे, मज्झे संखित्ते, उवरिं तणुए, सव्वकणगामए, अच्छे, वेइआवणसंडवण्णओ, एवं सेसावि कूडा इति। जम्बूए णं सुदंसणाए दुवालस णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा
१. सुदंसणा, २. अमोहा य, ३. सुप्पबुद्धा, ४. जसोहरा। ५. विदेहजम्बू, ६. सोमणसा, ७. णिअया, ८. णिच्चमंडिआ॥१॥ ९. सुभद्दा य, १०. विसाला य, ११ सुजाया, १२ सुमणा वि आ।
सुदंसणाए जम्बूए, णामधेजा दुवालस ॥२॥ जम्बूए णं अट्ठट्ठमंगलगा। से केणद्वेणं भन्ते ! एवं वुच्चइ जम्बू सुदंसणा जम्बू सुदंसणा?
गोयमा ! जम्बूए णं सुदंसणाए अणाढिए णामं जम्बुद्दीवाहिवई परिवसइ महिड्डीए, से णं तत्थ चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं, (चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणिआहिवईणं सोलस-) आयरक्खदेवसाहस्सीणं, जम्बुद्दीवस्स णं दीवस्स, जम्बूए सुदंसणाए, अणाढिआए रायहाणीए, अण्णेसिंच बहूणं देवाण य देवीण य जाव विहरइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ, अदुत्तरं णं च णं गोयमा ! जम्बूसुदंसणा जाव भूविं च ३ धुवा, णिअआ, सासया, अक्खया (अव्वया) अवट्ठिआ।
कहि णं भंते ! अणाढिअस्स देवस्स अणाढिआ णामं रायहाणी पण्णत्ता ?
गोयमा ! जम्बूद्दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं जं चेव पुष्ववणि जमिगापमाणं - तं चेव णेअव्वं, जाव उववाओ अभिसेओ अनिरवसेसोत्ति।
से केणटेणं भन्ते ! एवं वुच्चइ उत्तरकुरा उत्तरकुरा ?
गोयमा ! उत्तरकुराए उत्तरकुरूणामं देवे परिवसइ महिड्डीए जाव' पलिओवमट्ठिइए, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ उत्तरकुरा २, अदुत्तरं च णंति (धुवे, णियए) सासाए।
[१०७] भगवन् ! उत्तरकुरु में जम्बूपीठ नामक पीठ कहाँ बतलाया गया है ?
गौतम ! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, मन्दर पर्वत के उत्तर में माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में एवं शीता महानदी के पूर्वी तट पर उत्तरकुरु में जम्बूपीठ नामक पीठ बतलाया गया है। वह ५०० योजन लम्बा-चौड़ा है। उसकी परिधि कुछ अधिक १५८१ योजन है। वह पीठ बीच में बारह योजन मोटा
१. देखें सूत्र संख्या १२ २. देखें सूत्र संख्या १४