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शाब्दिक दृष्टया अस्पष्ट प्रतीत होने वाले आशय को स्पष्ट करने का अनुवाद में पूरा प्रयत्न रहा है। जहाँ अपेक्षित लगा, उन प्रसंगों का विशद् विवेचन किया है। यों संपादन, अनुवाद एवं विवेचन तीनों अपेक्षाओं से विनम्र प्रयास रहा है कि यह आगम पाठकों के लिए, विद्यार्थियों के लिए अतीव उपयोगी सिद्ध हो ।
संपादन, अनुवाद एवं विवेचन में जिन आचार्यों, विद्वानों तथा लेखकों की कृतियों से प्रेरणा मिली, साहाय्य प्राप्त हुआ, उन सबका मैं सादर आभारी हूँ ।
परम श्रद्धास्पद, प्रातःस्मरणीय, विद्वद्वरेण्य, स्व. युवाचार्यप्रवर श्री मिश्रीमलजी म. 'मधुकर' की प्रेरणा एवं पुण्य-प्रतापस्वरूप आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर द्वारा स्वीकृत, संचालित, निष्पादित श्रुत - संस्कृति का यह महान् यज्ञ जन-जन के लिए कल्याणकारी, मंगलकारी सिद्ध हो, मेरी यही अन्तर्भावना है।
सरदारशहर
(राजस्थान) - ३३१४०३
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- डॉ. छगनलाल शास्त्री