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[जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
राजा भरत द्वारा यों कहे जाने पर वे अठारह श्रेणि-प्रश्रेणि के प्रजा-जन हर्षित हुए, विनयपूर्वक राजा का वचन शिरोधार्य किया। वैसा कर राजा भरत के पास से रवाना हुए, रवाना होकर उन्होंने राजा की आज्ञानुसार अष्ट दिवसीय महोत्सव की व्यवस्था की, करवाई। वैसा कर जहाँ राजा भरत था, वहाँ वापस लौटे, वापस लौटकर उन्हें निवेदित किया कि आपकी आज्ञानुसार सब व्यवस्था की जा चुकी है। भरत का मागध तीर्थाभिमुख प्रयाण
५७. तए णं से दिव्वे चक्करयणे अट्ठाहिआए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ताअंतलिक्खपडिवण्णे, जक्खसहस्स-संपरिवुडे,दिव्वतुडिअसद्दसण्णिणाएणं आपूरेते चेव अंबरतलं विणीआए रायहाणीए मझमझेणं णिग्गच्छइ णिग्गच्छित्ता गंगाए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं मागहतित्थाभिमुहे पयाते यावि होत्था।
तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं गंगाए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं मागहतित्थाभिमुहं पयातं पासइ पासित्ता हट्ठतुट्ठ-(चित्तमाणंदिए, णंदिए, पीइमणे, परमसोमणस्सिए, हरिसवसविसप्पमाण-)हियए कोडुबिअपुरिसे सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी -खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह, हयगयरहपवरजोहकलिअं चाउरंगिणिं सेण्णं सण्णाहेह, एत्तमाणत्तिअं पच्चप्पिणह। तए णं ते कोडुंबिअ-(पुरिसे तमाणत्तियं) पच्चप्पिणंति।
तएणं से भरहे राया जेणेव मज्जणघरे, तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता मजणघरं अणुपविसइ अणुपविसित्ता समुत्तजालाभिरामे, तहेव विचित्तमणिरयणकुट्टिमतले, रमणिज्जे ण्हाणमंडवंसि,णाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहणिसण्णे सुहोदएहिं, गंधोदएहिं पुप्फोदएहिं, सुद्धोदएहिं य पुण्णे कल्लाणगपवर-मज्जणविहीए मज्जिए।तत्थकोउयसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवरमज्जणावसाणे, पम्हल-सुकुमाल-गंधकासाइय-लूहियंगे, सरससुरहिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते, अहयसुमहग्घदूसरयणसुसंवुडे, सुइमालावण्णगविलेवणे, आविद्धमणि-सुवण्णे, कप्पियहारद्धहारतिसरिय-पालंबपलंबमाणकडिसुत्त-सुकयसोहे, पिणद्ध-गेविज्जग-अंगुलिजगललिअंगयललियकयाभरणे, णाणामणि कडगतुडियथंभियभुए, अहियसस्सिरीए, कुण्डलउज्जोइयाणणे, मउडदित्तसिरए, हारोत्थयसुकयवच्छे, पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जे, मुद्दियापिंगलंगुलीए, णाणामणिकणगविमलमहरिह-णिउणोयवियमिसिमिसिंतविरइयसुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठसंठियपसत्थआविद्धवीरबलए। किं बहुणा-कप्परुक्खए चेवअलंकिअ-विभूसिए णरिंदे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चउ-चामरवालवीइयंगे, मंगलजयजयसद्दकयालोए, अणेग-गणणायग-दंडणायग-दूय-संधिवालसद्धिं संपरिवुडे,) धवलमहामेहणिग्गए इव ससिव्व पियदंसणे णरवई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ २त्ता हयगयरहपवरवाहणभडचडगरपहकरसंकुलाए सेणाए पहिअकित्ती जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव आभिसेक्के हत्थिरयणे,