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________________ द्वितीय वक्षस्कार ] १३. मेघ - वृष्टि १५. आराम - रोपण १७. धर्म- विचार १९. क्रिया-कल्प २१. प्रासाद-नीति २३. वर्णिका - वृद्धि. २५. सुरभि - तैलकरण २७. हय - गज- परीक्षण २९. हेम-रत्न-भेद ३१. तत्काल - बुद्धि - प्रत्युत्पन्नमति १४. जल-वृष्टि १६. आकार - गोपन १८. शकुन - विचार २०. संस्कृत- जल्प २२. धर्मरीति २४. स्वर्ण-सिद्धि २६. लीला - संचरण २८. पुरुष - स्त्री - लक्षण अष्टादश-लिपि-परिच्छेद ३२. वास्तु-सिद्धि ३४. वैद्यक - क्रिया ३६. सारिश्रम ३८. चूर्ण - योग ३०. 1 ३३. काम - विक्रिया ३५. कुंभ- भ्रम ३७. अंजन- योग ३९. हस्त - लाघव ४१. भोज्य-विधि ४०. ४२. वचन-पाटव वाणिज्य - विधि ४४. शालि - खंडन ४६. पुष्प- ग्रथन ४३. मुख-मंडन ४५. कथा-कथन ४७. वक्रोक्ति ४९. स्फारविधिवेश ५१. अभिधान - ज्ञान ४८. काव्य-शक्ति ५०. सर्व - भाषा - विशेष ५२. भूषण - परिधान ५४. गृहोपचार ५३. भृत्योपचार ५५. व्याकरण ५७. रन्धन ५९. वीणा - नाद ६१. अंक- विचार ५६. परनिराकरण ५८. केश-बन्धन ६०. वितंडावाद ६२. लोक - व्यवहार ६३. अन्त्याक्षरिका ६४. प्रश्न - प्रहेलिका । | ६३ प्रस्तुत सूत्र में सौ शिल्पों का संकेत किया गया है। इस सन्दर्भ में ज्ञातव्य है कि शिल्प के मूलत:१. कुंभकृत् - शिल्प - घट आदि बर्तन बनाने की कला, २. चित्रकृत् - शिल्प - चित्रकला, ३. लोहकृत् - शिल्प - शस्त्र आदि लोहे की वस्तुएँ बनाने की कला, ४. तन्तुवाय- शिल्प - वस्तु बुनने की कला तथा
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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