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________________ [प्रज्ञापनासूत्र] [४७ स्थिति भी अन्तः सागरोपम कोडाकोडी की है। [१३] तेया-कम्मसरीरणामए जहण्णेणं [ सागरोवमस्स ] दोण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; वीसं य वाससयाई अबाहा०। [१७०२-१३] तैजस और कार्मण-शरीर-नामकर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के २/७ भाग की है तथा उत्कृष्ट स्थिति बीस कोडाकोडी सागरोपम की है। इनका अबाधाकाल बीस सौ (दो हजार) वर्ष का है। [१४] ओरालिय-वेउव्विय-आहारगसरीरंगोवंगणामए तिण्णि वि एवं चेव। ___ [१७०२-१४] औदारिकशरीरांगोपांग, वैक्रियशरीरांगोपांग ओर आहारकशरीरांगोपांग, इन तीनों नामकर्मों की स्थिति भी इसी प्रकार (पूवर्वत्) है। [१५] सरीरबंधणणामए वि पंचण्ह वि एवं चेव। [१७०२-१५] पांचों शरीरबन्धन-नामकर्मों की स्थिति भी इसी प्रकार है। - [१६] सरीरसंघायणामए पंचण्ह वि जहा सरीरणामए (सु. १७०२ [१०-१३ ]) कम्मस्स ठिति त्ति। [१७०२-१६] पांचों शरीरसंघात-नामकर्मों की स्थिति (सू. १७०२-१०-१३ में उल्लिखित) शरीर-नामकर्म की स्थिति के समान है। [१७] वइरोसभणारायसंघयणणामए जहा रतिणामए (सु. १७०० [१२])। __ [१७०२-१७] वज्रऋषभनाराचसंहनन-नामकर्म की स्थिति (सू. १७००-१२ में उल्लिखित) रति-नामकर्म की स्थिति के समान है। [१८] उसभणारायसंघयणणामए पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं सागरोवमस्स छ पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं बारस सागरोवमकोडाकोडीओ; बारस य वाससयाई अबाहा० । [१७०२-१८ प्र.] भगवन्! ऋषभनाराचसंहनन-नामकर्म की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [१७०२-१८ उ.] गौतम! इस की स्थिति जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के ६/३५ भाग की है और उत्कृष्ट बारह कोडाकोडी सागरोपम की है तथा इसका अबाधाकाल बारह सौ वर्ष का हे । . [१९] णारायसंघयणणामए जहण्णेणं सागरोवमस्स सत्त पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं चोइस सागरोवमकोडाकोडीओ; चोद्दस य वाससयाई अबाहा०। . [१७०२-१९] नाराचसंहनन-नामकर्म की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम ७/३५ सागरोपम की है तथा उत्कृष्ट स्थिति चौदह कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल चौदह सौ वर्ष का है।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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