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________________ ३०] [ तेईसवाँ कर्मप्रकृतिपद] [६] सरीरसंघायणामे णं भंते! कतिविहे पण्णत्ते? . गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते। तं जहा-ओरालियसरीरसंघातणामे जाव कम्मगसरीरसंघायणामे। • [१६९४-६ प्र.] भगवन् ! शरीरसंघातनाम कितने प्रकार का कहा है ? [१६९४-६ उ.] गौतम! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा – औदारिकशरीरसंघातनाम यावत् कार्मणशरीरसंघातनाम। [७] संघयणणामे णं भंते! कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा! छव्विहे पण्णत्ते। जहा - वइरोसभणारायसंघयणणामे १ उसभणारायसंघयणणामे २ णारायसंघयणणामे ३ अद्धणारायसंघयणणामे ४ कीलियासंघयणणामे ५ छेवट्टसंघयणणामे ६। [१६९४-७ प्र.] भगवन् ! संहनननाम कितने प्रकार का कहा गया है ? - [१६९४-७ उ.] गौतम! वह छह प्रकार का कहा गया है, यथा – (१) वज्रऋषभनाराचसंहनननाम, (२) ऋषभनाराचसंहनननाम, (३) नाराचसंहनननाम, (४) अर्द्धनाराचसंहनननाम, (५) कीलिकासंहनननाम और (६) सेवार्त्तसंहनननामकर्म। .. [८] संठाणणामे णं भंते! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! छव्विहे पण्णत्ते। तं जहा - समचउरंससंठाणणामे १ णग्गोहपरिमंडलसंठाणणामे २ सातिसंठाणणामे ३ वामणसंठाणणामे ४ खुजसंठाणणामे ५ हुंडसंठाणणामे ६। [१६९४-८ प्र.] भगवन् ! संस्थाननाम कितने प्रकार का कहा गया है? [१६९४-८ उ.] गौतम! वह छह प्रकार का कहा गया है, यथा – (१) समचतुरस्रसंस्थाननाम, (२) न्यग्रोधपरिमण्डलसंस्थाननाम, (३) सादिसंस्थाननाम, (४) वामनसंस्थाननाम, (५) कुब्जसंस्थाननाम और (६) हुण्डकसंस्थाननामकर्म। [९] वण्णणामे णं भंते! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते। तं जहा - कालवण्णणामे जाव सुक्किलवण्णणामे। [१६९४-९ प्र.] भगवन् ! वर्णनामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ? [१६९४-९ उ.] गौतम! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा - कालवर्णनाम यावत् शुक्लवर्णनाम। [१०] गंधणामे णं भंते! कम्मे ० पुच्छा। गोयमा! दुविहे पण्णत्ते। तं जहा - सुरभिगंधणामे १ दुरभिगंधणामे २। [१६९४-१० प्र.] भगवन् ! गन्धनामकर्म कितने प्रकार का कहा है ? [१६९४-१० उ.] गौतम! वह दो प्रकार का कहा गया है, यथा – सुरभिगन्धनाम और दुरभिगन्धनामकर्म। [११] रसणामे णं० पुच्छा।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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