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________________ [प्रज्ञापनासूत्र] [२९ (२१) त्रसनााम, (२२) स्थावरनाम, (२३) सूक्ष्मनाम, (२४) बादरनाम, (२५) पर्याप्तनाम, (२६) अपर्याप्तनाम, (२७) साधारणशरीरनाम, (२८) प्रत्येकशरीरनाम, (२९) स्थिरनाम, (३०) अस्थिरनाम, (३१) शुभनाम, (३२) अशुभनाम, (३३) सुभगनाम, (३४) दुर्भगनाम, (३५) सुस्वरनाम, (३६) दुःस्वरनाम, (३७) आदेयनाम, (३८) अनादेयनाम, (३९) यश:कीर्तिनाम, (४०) अवश:कीर्तिनाम, (४१) निर्माणनाम और (४२) तीर्थंकरनाम। १६९४. [१] गतिणामे णं भंते! कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा ! चउबिहे पण्णत्त ! तं जहा – णिरयगतिणामे १ तिरियगतिणामे २ मणुयगतिणामे ३ देवगतिणामे ४। [१६९४-१ प्र.] भगवन् ! गतिनामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है? [१६९५-१उ.] गौतम! वह चार प्रकार का कहा गया है, यथा – (१) नरकगतिनाम, (२) तिर्यञ्चगतिनाम, (३) मनुष्यगतिनाम और (४) देवगतिनाम। [२] जाइणामे णं भंते ! कम्मे पुच्छा। गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते ! तं जहा - एगिंदियजाइणामे जाव पंचेंदियजाइणामे। . [१६९४-२ प्र.] भगवन् ! जातिनामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ? [१६९४-२ उ.] गौतम! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा - एकेन्द्रियजातिनाम, यावत् पंचेन्द्रियजातिनाम । [३] सरीरणामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते। तं जहा - ओरालियसरीरणामे जाव कम्मगसरीरणामे। [१६९४-३ प्र.] भगवन् ! शरीरनामकर्म कितने प्रकार का कहा है ? [१६९४-४ उ.] गौतम! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा – औदारिकशरीरनाम यावत् कार्मणशरीरनाम। [४] सरीरंगोवंगणामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा! तिविहे पण्णत्ते। तं जहा - ओरालियसरीरंगोवंगणामे १ वेउब्वियसरीरंगोवंगणामे २ आहारगसरीरंगोवंगणामे ३। [१६९४-४ प्र.] भगवन् ! शरीरांगोपांगनाम कितने प्रकार का कहा गया है? [१६९४-४ उ.] गौतम! वह तीन प्रकार का कहा गया है, यथा – (१) औदारिकशरीरांगोपांग, (२) वैक्रियशरीरांगोपांग और (३) आहारकशरीरांगोपांग नाम। [५] सरीरबंधणणामे णं भंते! कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते। तं जहा - ओरालियसरीरबंधणणामे जाव कम्मगसरीरबंधणणामे। [१६९४-५ प्र.] भगवन् ! शरीरबन्धननाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [१६९४-५ उ.] गौतम! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा - औदारिकशरीरबंधननाम, यावत् कार्मणशरीरबंधननाम।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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