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[ छत्तीसवाँ समुद्घातपद ]
गोयमा ! अनंता ।
केवतिया पुरेक्खडा ?
गोयमा! अनंता ।
[२०९७ -१ प्र.] भगवन् ! नारकों के कितने वेदनासमुद्घात अतीत हुए हैं ?
[२०९७ - १ उ.] गौतम ! वे अनन्त हुए है।
[प्र.] भगवन् ! (उनके) भावी वेदनासमुद्घात कितने होते हैं ?
[उ.] गौतम! वे भी अनन्त होते हैं।
[२] एवं जाव वेमाणियाणं ।
[२०९७-२] इसी प्रकार वैमानिकों (के वेदनासमुद्घात) तक (के विषय में जानना चाहिए ) ।
२०९८. [ १ ] एवं जाव तेयगसमुग्धाए ।
[२०९८-२] इसी प्रकार ( वेदनासमुद्घात के समान) तैजसमुद्घात पर्यन्त समझना चाहिए ।
[२] एवं एते वि पंच चउवीसा दंडगा ।
[२०९८-२] इस प्रकार इन ( वेदना से लेकर तैजस तक) पांचों समुद्घातों का (कथन) चौबीसों दण्डकों में ( बहुवचन के रूप में समझ लेना चाहिए।)
२०९९. [ १ ] णेरइयाणं भंते ! केवतिया आहारगसमुग्धाया अतीया ?
गोयमा ! असंखेज्जा ।
[२३५
केवतिया पुरेक्खडा ?
गोयमा ! असंखेज्जा ।
[२०९९-१ प्र.] भगवान् ! नारकों के कितने आहारकसमुद्घात हुए हैं ? .
[२०९९-१ उ.] गौतम! वे असंख्यात हुए हैं।
[प्र.] भगवान् ! उनके आगामी आहारकसमुद्घात कितने होते हैं ?
[उ.] गौतम ! वे भी असंख्यात होते हैं ।
[२] एवं जाव वेमाणियाणं णवरं वणस्सइकाइयाणं मणूसाण य इमं णाणत्तं । वणस्सइकाइयाणं भंते! केवतिया आहारगसमुग्धाया अतीता ?
गोयमा ! अनंता ।
मणूसाणं भंते! केवतिया आहारगसमुग्धाया अतीता ?
गोयमा! सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा । एवं पुरेक्खडा वि।