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________________ [तीसवाँ पश्यत्तापद] [१६५ [१९५७-२] इसी प्रकार (अप्कायिक से लेकर) वनस्पतिकायिकों तक के (सम्बन्ध में कहना चाहिए।) १९५८. बेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! सागारपस्सी, णो अणागारपस्सी। से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चति ? . गोयमा! बेइंदियाणं दुविहा सागारपासणया पण्णत्ता। तं जहा-सुयणाणसागारपासणया य सुयअण्णाणसागारपासणया य, से तेणढेणं गोयमा! एवं वुच्चतिः। [१९५८ प्र.] भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीव साकरपश्यत्ता वाले हैं या अनाकारपश्यत्ता वाले हैं ? [१९५८ उ.] गौतम! वे साकारपश्यत्ता वाले हैं, अनाकारपश्यत्ता वाले नही हैं । [प्र.] भगवन्! किस कारण से ऐसा कहते हैं कि द्वीन्द्रिय साकारपश्यत्ता वाले हैं, अनाकारपश्यत्ता वाले नहीं हैं? [उ.] गौतम! द्वीन्द्रिय जीवों की दो प्रकार की साकार पश्यत्ता कही है। यथा-श्रुतज्ञानसाकरपश्यत्ता और श्रुत-अज्ञानसाकरपश्यत्ता । इस कारण से हे गौतम! ऐसा कहा जाता है कि द्वीन्द्रिय साकारपश्यत्ता वाले हैं, अनाकारपश्यत्ता वाले नहीं हैं। १९५९. एवं तेइंदियाण वि। [१९५९] इसी प्रकार त्रीन्द्रिय जीवों के विषय में समझना चाहिए । १९६०. चउरिंदियाणं पुच्छा। गोयमा! चउरिंदिया सागारपस्सी वि अणागारपस्सी वि। से केणठेणं०? गोयमा! जे णं चउरिदिया सुयणाणी सुयअण्णाणी ते णं चउरिंदिया सागारपस्सी, जे णं चउरिं दिया चक्खुदंसणी ते णं चरिंदिया अणागारपस्सी, से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चतिः । [१९६० प्र.] भवगन्! चतुरिन्द्रिय जीव साकारपश्यत्ता वाले हैं या अनाकारपश्यत्ता वाले हैं ? [१९६० उ.] गौतम! चतुरिन्द्रिय जीव साकारपश्यत्ता वाले हैं और अनाकारपश्यत्ता वाले भी हैं। [प्र.] भगवन्! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि चतुरिन्द्रिय जीव साकारपश्यत्ता वाले हैं और अनाकारपश्यत्ता वाले भी हैं ? [उ.] गौतम! जो चतुरिन्द्रिय जीव श्रुतज्ञानी और श्रुत-अज्ञानी हैं, वे साकारपश्यत्ता वाले हैं और चतुरिन्द्रिय वाले होने से चक्षुदर्शनी हैं, अतः अनाकारपश्यत्ता वाले हैं। इस हेतु से हे गौतम! यों कहा जाता है कि चतुरिंन्द्रिय साकारपश्यत्ता वाले भी हैं और अनाकारपश्यत्ता वाले भी हैं। १९६१. मणूसा जहा जीवा (सु. १९५४)। [१९६१] मनुष्यों से सम्बन्धित कथन (सू. १९५४ में उक्त) समुच्चय जीवों के समान है।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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