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तीसइमं पासणयापर्यं
तीसवाँ पश्यत्तापद
जीव एवं चौबीस दण्डकों में पश्यत्ता के भेद-प्रभेद की प्ररूपणा
१९३६. कतिविहा णं भंते! पासणया पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पासणया पण्णत्ता । तं जहा - सागारपासणया अणागारपासणया य ।
[१९३६ प्र.] भगवन्! पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ?
[१९३६ उ.] गौतम ! पश्यत्ता दो प्रकार की कही गई हे, यथा - साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता। १९३७. सागारपासणया णं भंते! कइविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! छव्विहा पण्णत्ता । तं जहा सुयणाणसागारपासणया १ ओहिणाणसागारपासणया २ मणपज्जवणाणसागारपासणया ३ के वलणाणसागारपासणया ४ सुयअन्नाणसागारपासणया ५ विभंगनाणसागारपासणया ६ ।
[१९३७ प्र.] भगवन्! साकारपश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ? [१९३७ उ.] गौतम ! वह छह प्रकार की कही गई है, यथा (१) श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता, (२) अवधिज्ञानसाकारपश्यत्ता, (३) मनः पर्यवज्ञानसाकार पश्यत्ता, (४) केवलज्ञानसाकारपश्यत्ता, (५) श्रुतअज्ञानसाकारपश्यत्ता और (६) विभंगज्ञानसाकारपश्यत्ता ।
१९३८. अणागारपासणया णं भंते! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता । तं जहा - चक्खुदंसणअणागारपासणया १ ओहिदंसणअणागारपासणया २ केवलदंसणअणागारपासणया ३ ।
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[१९३८ प्र.] भगवन्! अनाकारपश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ?
[१९३८ उ.] गौतम! वह तीन प्रकार की कही गई है। यथा - (१) चक्षुदर्शनअनाकारपश्यत्ता, (२) अवधिदर्शनअनाकारपश्यत्ता और (३) केवलदर्शन अनाकारपश्यत्ता।
१९३९. एवं जीवाणं पि ।
[१९३९] इसी प्रकार (छह प्रकार की साकारपश्यत्ता और तीन प्रकार की अनाकारपश्यत्ता) समुच्चय जीवों में ( कहनी चाहिए।)
१. 'पासणया' शब्द का संस्कृतरूपान्तर 'पश्यनका - पश्यना' भी होता है, वह सहसा यह भ्रम खड़ा कर देता है, कि कहीं यह वर्तमान में प्रचारित बौद्धधर्म-संदिष्ट विपश्यना तो नहीं है ? परन्तु आगे के वर्णन को देखते हुए यह भ्रम मिट जाता है।
- सम्पादक