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________________ जीवों के नाम समुच्चय जीव मनुष्य साकारोपयोग कितने? आठ ही प्रकार का साकारोपयोग अनाकारोपयोग कितने? चारों ही प्रकार का अनाकारोपयोग कारण - क्योंकि इनमें सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि दोनों प्रकार के जीव पाये जाते हैं, इस कारण आठों साकारो० व चारों अनाकारोपयोग [ उनतीसवाँ उपयोगपद] नैरयिक इन सब में ६ प्रकार के- इन सब में ३ प्रकार केदस प्रकार के भवनवासी मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, चक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग पंचेन्द्रियतिर्यञ्च मत्यज्ञान, श्रुतज्ञान, विभंगज्ञान, अचक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग वाणव्यन्तर देव अवधिदर्शन-अनाकारोपयोग ज्योतिष्क देव वैमानिक देव नारक, तिर्यञ्चपंचेन्द्रिय, भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक ये सम्यग्दृष्टि भी होते हैं और मिथ्यादृष्टि भी। सम्यग्दृष्टि में तीन ज्ञान, मिथ्यादृष्टि में तीन अज्ञान पाये जाते है तथा दोनों में तीन । प्रकार के अनाकारोपयोग पाये जाते हैं। पृथ्वीकायिक देव पांच स्थावर एकेन्द्रिय दो प्रकार का-मति-अज्ञान श्रुत-अज्ञान-साकारोपयोग एक प्रकार का - अचक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग जीव द्वीन्द्रिय जीव त्रीन्द्रिय जीव चतुरिन्द्रिय जीव चार प्रकार का-मतिज्ञान श्रुतज्ञान तथा मत्यज्ञान श्रुताज्ञान-साकारोपयोग एक ही प्रकार का-अचक्षुदर्शन एक ही प्रकार का-अचक्षुदर्शन दो प्रकार का-चक्षुदर्शन,अचक्षुदर्शन सम्यग्दर्शनरहित होने से दो प्रकार के अज्ञान तथा चक्षुरिन्द्रिरहित होने से एक अचक्षुदर्शन- अनाकारोपयोग होता है। होता है। तीनों विकलेन्द्रिय जीवों को मतिज्ञान और श्रुतज्ञान सास्वादनभाव को प्राप्त होते हुए ___ अपर्याप्तावस्था में होते है, इसलिए दो ज्ञान भी होते है। चतुरिन्द्रिय जीव के चक्षुरिन्द्रिय होने से चक्षुदर्शन भी पाया जाता है। १. (क) प्रज्ञापना. मलयवृत्ति अभि. भा. २, पृ. ८६६-६७ ... (ख) प्रज्ञापना. (प्रमेयबोधिनी टीका) भा. ५, पृ. ७०७ से ७१३ [१५९
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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