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________________ [ प्राथमिक ] * ܀ उपयोग (सू. १९०८ - १० ) १. साकारोपयोग (१) आभिनिबोधिकज्ञान- साकारोपयोग (२) श्रुतज्ञान-साकारोपयोग (३) अवधिज्ञान - साकारोपयोग (४) मनः पर्यवज्ञान - साकारोपयोग (५) केवलज्ञान-साकारोपयोग (६) मतिज्ञानावरण-साकारोपयोग (७) श्रुताज्ञानावरण-साकारोपयोग (८) विभंगज्ञानावरण-साकारोपयोग २. अनाकारोपयोग पश्यत्ता ( १९३६-३८ ) १. साकार- पश्यत्ता X X X [१५१ (१) श्रुतज्ञान- साकारपश्यत्ता (२) अवधिज्ञान - साकारपश्यत्ता (३) मनः पर्यवज्ञान - साकारपश्यत्ता. (४) केवलज्ञान - साकारपश्यत्ता X X X (५) श्रुताज्ञान- साकारपश्यत्ता (६) विभंगज्ञान - साकारपश्यत्ता २. अनाकारपश्यत्ता (१) चक्षुदर्शन - अनाकारपश्यत्ता (१) चक्षुदर्शन - अनाकारोपयोग (२) अचक्षुदर्शन - अनाकारोपयोग (३) अवधिदर्शन - अनाकारोपयोग (२) अवधिदर्शन - अनाकारपश्यत्ता (३) केवलदर्शन - अनाकारपश्यत्ता।' (४) केवलदर्शन - अनाकारोपयोग साकारोपयोग और अनाकारोपयोग का लक्षण आचार्य मलयगिरि ने इस प्रकार किया है। सचेतन या अचेतन वस्तु में उपयोग लगाता हुआ आत्मा जब वस्तु का पर्यायसहित बोध करता है, तब वह उपयोग साकार कहलाता है, तथा वस्तु का सामान्यरूप से ज्ञान होना अनाकारोपयोग है। १. पण्णवणासुत्तं भा. २ (परिशिष्ट - प्रस्तावनात्मक ), पृ. १३८ २. प्रज्ञापना, मलयवृत्ति, अभि. रा. कोष. भा. २, पृ. ८६० X X X साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता में भी साकार और अनाकार शब्दों का अर्थ तो उपर्युक्त ही है, किन्तु पत्ता में वस्तु का त्रैकालिक बोध होता है, जबकि उपयोग में वर्तमानकालिक ही बोध होता है । इसके पश्चात् उनतीसवें पद में नारक से वैमानिकपर्यन्त चौबीस दण्डकों में से किस-किस जीव में कितने उपयोग पाये जाते हैं ? इसका प्ररूपण किया गया है। तीसवें पश्यत्ता पद में इसके भेद-प्रभेदों का प्रतिपादन करके नारक से लेकर वैमानिक पर्यन्त जीवों में से किसमें कितने प्रकार की पश्यत्ता है ? इसका प्ररूपण किया गया है। उनतीसवें पद में पूर्वोक्त प्ररूपण के अनन्तर चौबीस दण्डकवर्ती जीवों के विषय में प्रश्नोत्तरी प्रस्तुत की गई
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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