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________________ [प्रज्ञापनासूत्र] [९९ . १७९०. दरिसणावरणिजं अंतराइयं च एवं चेव भाणियव्वं । [१७९०] दर्शनावरणीय और अन्तराय कर्म के साथ अन्य कर्मप्रकृतियों के वेदन के विषय में भी पूर्ववत् कहना चाहिए। १७९१. वेदणिज-आउअ-णाम-गोयाइं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ वेदेइ ? गोयमा! जहा बंधगवेयगस्स वेदणिजं (सु. १७७३-७४) तहा भाणियव्वं। [१७९१ प्र.] भगवन् ! वेदनीय, आयु, नाम और गोत्रकर्म का वेदन करता हुआ (एक) जीव कितनी कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है? [१७९१ उ.] गौतम! जैसे (सू. १७७३-७४ में) बन्धक-वेदक के वेदनीय का कथन किया गया है, उसी प्रकार वेद-वेदक के वेदनीय का कथन करना चाहिए । १७९२. [१] जीवे णं भंते! मोहणिजं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ वेदेइ ? गोयमा! णियमा अट्ठ कम्मपगडीओ वेदेइ। [१७९२-१ प्र.] भगवन् ! मोहनीयकर्म का वेदन करता हुआ (एक) जीव कितनी कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है? [१७९२-१ उ.] गौतम! वह नियमा से आठ कर्म प्रकृतियों का वेदन करता है । [२] एवं णेरइए जाव वेमाणिए। [१७९२-२] इसी प्रकार नारक से लेकर वैमानिक पर्यन्त (अष्टविध कर्मप्रकृतियों का) वेदन होता है। [३] एवं पुहत्तेण वि। [१७९२-३] इसी प्रकार बहुत्व की विवक्षा से भी सभी जीवों और नारक से वैमानिक पर्यन्त समझना चाहिए। ॥ पण्णवणाए भगवतीए सत्तावीसतिमं कम्मवेदवेदयपयं समत्तं ॥ विवेचन - वेद-वेदक चर्चा का निष्कर्ष – इस पद का प्रतिपाद्य यह है कि जीव ज्ञानावरणीय आदि - किसी एक कर्म का वेदन करता हुआ, अन्य कितनी कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है ? (१) ज्ञानावरणीयकर्म का वेदन करता हुआ कोई जीव या कोई मनुष्य यानी उपशान्तमोह या क्षीणमोह मनुष्य मोहनीयकर्म का वेदक न होने से सात कर्मप्रकृतियों का वेदन करते हैं। ___ (२) बहुत जीवों की अपेक्षा से तीन भंग होते हैं – (१) सभी जीव आठ कर्मप्रकृतियों के वेदक होते हैं, (२) अथवा कई आठ के वेदक होते हैं और कोई एक सात का वेदक होता है, (३) अथवा कई आठ के और कई सात के वेदक होते हैं। (३) दर्शनावरणीय और अन्तरायकर्म-सम्बन्धी वक्तव्यता भी ज्ञानावरणीय के समान कहनी चाहिए।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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