SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८६] [चौवीसवाँ कर्मबन्धपद] मोहनीय आदि कर्मों के बन्ध के साथ अन्य कर्मप्रकृतियों के बन्ध का निरूपण १७६६. मोहणिज बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा! जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। जीवेगिंदिया सत्तविहबंधगा वि अट्ठविहबंधगा वि। [१७६६. प्र.] भगवन् ! मोहनीय कर्म बांधता जीव कितनी कर्मप्रकृतियों को बांधता है ? [१७६६ उ.] गौतम! सामान्य जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहना चाहिए। जीव और एकेन्द्रिय सप्तविधबन्धक भी और अष्टविधबन्धक भी होते हैं। १७६७.[ १ ] जीवे णं भंते! आउअं कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा! णियमा अट्ठ। एबं णेरइए जाव वेमाणिए। [१७६७-१ प्र.] भगवन् ! आयुकर्म को बांधता जीव कितनी कर्मप्रकृतियों को बांधता है? [१७६७-१ उ.] गौतम! नियम से आठ प्रकृतियाँ बाँधता है। नैरयिकों से लेकर वैमानिक पर्यन्त सभी दण्डकों में इसी प्रकार कहना चाहिये। [२] एवं पुहत्तेण वि। [२] इसी प्रकार बहुतों के विषय में भी कहना चाहिए। १७६८. [१] णाम-गोय-अंतरायं बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा! जाओ णाणावरणिजं बंधमाणे बंधइ ताहिं भाणियव्वो। [१७६८-१ प्र.] भगवन् ! नाम, गोत्र और अन्तराय कर्म को बाँधता जीव कितनी कर्मप्रकृतियाँ बाँधता है ? [१७६८-१ उ.] गौतम! ज्ञानावरणीय को बाँधने वाला जिन कर्मप्रकृतियों को बांधता है, वे ही यहाँ कहनी चाहिए। [२] एवं णेरइए वि जाव वेमाणिए। [१७६८-२] इसी प्रकार नारक से लेकर वैमानिक तक कहना चाहिए । [३] एवं पुहत्तेण वि भाणियव्वं । [१७६८-३] इसी प्रकार बहुवचन में भी समझ लेना चाहिए। पण्णवणाए भगवतीए चउवीसइमं कम्मबंधपदं समत्तं॥ विवेचन - वेदनीय कर्मबन्ध के समय अन्य प्रकृतियों का बन्ध -- वेदनीय बन्ध के साथ कोई जीव सात का कोई आठ का और कोई छह का बंधक होता है, उपशान्तमोह आदि वाला कोई एक ही प्रकृति का बन्धक
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy