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________________ ५०८ ] [ प्रज्ञापनासूत्र ___(उ.) गौतम ! विष्कम्भ, अर्थात्-उदर आदि के विस्तार और बाहल्य, अर्थात्-छाती और पृष्ठ की मोटाई के अनुसार शरीरप्रमाणमात्र ही अवगाहना होती है । लम्बाई की अपेक्षा तैजसशरीर की अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग की होती है और उत्कृष्ट अवगाहना लोकान्त से लोकान्त तक होती है । १५४६. एगिंदियस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं सनोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा ! एवं चेव, जाव पुढवि-आउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयस्स । [१५४६ प्र.] भगवन् ! मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत एकेन्द्रिय के तैजसशरीर की अवगाहना कितनी कही गई है ? [उ.] गौतम ! इसी प्रकार (समुच्चय जीव के समान मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत एकेन्द्रिय के तैजसशरीर की अवगाहना भी) विष्कम्भ और बाहल्य की अपेक्षा से शरीरप्रमाण और लम्बाई की अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना ) पृथ्वी-अप्-तेजो-वायु-वनस्पतिकायिक तक पूर्ववत् समझनी चाहिए । १५४७.[१]वेइंदियस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा ! सरीरपमाणमेता विक्खंभ-बाहल्लेणं ;आयामणं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं तिरियलोगाओ लीगंतो । ___[१५४७-१] भगवन् ! मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय के तैजसशरीर की अवगाहना कितनी बड़ी कही गई है ? - [उ.] गौतम ! विष्कम्भ अर्थात्-उदर आदि विस्तार एवं बाहल्य, अर्थात्-वक्षस्थल एवं पृष्ठ (पीठ) की मोटाई की अपेक्षा से शरीरप्रमाणमात्र होती है । तथा लम्बाई की अपेक्षा से जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग की और उत्कृष्ट तिर्यक् (मध्य) लोक से (ऊर्ध्वलोकान्त या अधो-) लोकान्त तक अवगाहना समझनी चाहिए। [२] एवं जाव चउरि दियस्स । [१५४७-२] इसी प्रकार यावत् चतुरिन्द्रिय तक के (जीवों के तैजसशरीर की अवगाहना समझ लेनी चाहिए ।) १५४८. णंरइयस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-बाहल्लेणं ; आयामेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, उक्कोसेणं
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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