SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इक्कीसवाँ अवगाहना-संस्थान-पद] [ ४६३ [१४९४-१] वनस्पतिकायिकों के शरीर का संस्थान नाना प्रकार का कहा गया है। [२] एवं सुहुम-बायर-पज्जत्तापजत्ताण वि। [१४९४-२] इसी प्रकार (वनस्पतिकायिकों के) सूक्ष्म, बादर, पर्याप्तकों अपर्याप्तकों के शरीरों का संस्थान भी (नाना प्रकार का है।) १४९५.[१] बेइंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते। [१४९५-१ प्र.] भगवन् ! द्वीन्द्रिय-औदारिकशरीर का संस्थान किस प्रकार का कहा गया हैं ? [उ.] गौतम ! (वह) हुंडकसंस्थान वाला कहा गया है। [२] एवं पजत्तापज्जत्ताण वि। [१४९५-२] इसी प्रकार पर्याप्तक और अपर्याप्तक (द्वीन्द्रिय-औदारिकशरीरों का संस्थान भी हुंडक कहा गया है।) १४९६. एवं तेइंदिय-चउरि दियाण वि। [१४९६-१] इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय (के पर्याप्तक, अपर्याप्तक शरीरों) का संस्थान भी (हुण्डक समझना चाहिए।) १४९७.[१] तिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहसंठाणसैठिए पण्णत्ते।तं जहा - समचउरंससंठाणसंठिए जाव' हुंडसंठाणसंठिए वि। एवं पज्जत्ताऽपजत्ताण वि ३। [१४९७-१ प्र.] भगवन् ! तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर किस संस्थान वाला कहा गया __ [उ.] गौतम ! (वह) छहों प्रकार के संस्थान वाला कहा गया है, यथा - समचतुरस्र-संस्थान से लेकर हुंडकसंस्थान पर्यन्त। इसी प्रकार पर्याप्तक, अपर्याप्तक (तिर्यञ्च-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर के संस्थान) के विषय में भी (समझ लेना चाहिए।) [२] सम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पत्ते ? गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते। एवं पजत्तापज्जत्ताण वि ३। १. 'जाव' शब्द 'नग्गोहपरिमंडलसंठाणसंठिए, साइसं०, वामणसं०, खुजसंठाणसंठिए, हंडसंठाणसंठिए, शब्दों का सूचक है।
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy