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________________ इक्कीसवाँ अवगाहना-संस्थान-पद] [४५७ य गब्भवक्कंतियजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य । .. [१४८४-१ प्र.] भगवन् ! जलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है । यथा - सम्मूछिम-जलचर-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर और गर्भज (गर्भव्युत्क्रान्तिक)-जलचर-तिर्यञ्चपंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर। [२] सम्मुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरेणं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते। तं जहा - पजत्तगसम्मच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य ।अपजत्तगसम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य । - [१४८४-२ प्र.] भगवन् ! सम्मूछिम-जलचर-तिर्यंचचोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? ___ [उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - पर्याप्तक-सम्मूछिम-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर और अपर्याप्तक-सम्मूछिम-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर । [३] एवं गब्भवक्कंतिए वि । - [१४८४-३] इसी प्रकार गर्भज (जलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर) के भी (पर्याप्तक और अपर्याप्तक, ये दो भेद समझ लेना चाहिए) । १४८५.[१] थलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते? ‘गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य परिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य । [१४८५-१ प्र.] भगवन् ! स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है, यथा - चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर और परिसर्प-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर । [२] चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य गब्भवक्वंतियचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य । [१४८५-२ प्र.] भगवन् ! चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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