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________________ [ ४५५ इक्कीसवाँ अवगाहना-संस्थान - पद ] [उ.] गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर । 1 १४७७. एगिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा - पुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे जाव वणस्सइकाइयएगिंदियओरालियसरीरे । [१४७७ प्र.] भगवन् ! एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! वह (एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकारपृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर । १४७८. [१] पुढविक्काड्यएगिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - सुहुमपुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे य बादरपुढविक्काइयएगिंदियओरालियसरीरे य । [१४७८-१ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है, यथा- सूक्ष्मपृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर और बादरपृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय औदारिकशरीर । [ २ ] सुहुमपुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - पज्जत्तगसुहुमपुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे य अपज्जत्तगसुहुमपुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे य । [१४७८-२ प्र.] भगवन् ! सूक्ष्मपृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिकशरीरे कितने प्रकार का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार पर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रियऔदारिकशरीर और अपर्याप्तक-सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर । - [३] बादरपुढविक्काइया वि चेव । [१४७८-३] इसी प्रकार बादर - पृथ्वीकायिक- (एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर के भी पर्याप्तक और अपर्याप्तक, ये दो भेद समझ लेने चाहिए ।) १४७९. एवं जाव वणस्सइकाइयएगिंदियओरालिय त्ति । [१४७९] इसी प्रकार (अप्कायिक से लेकर) वनस्पतिकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिक- शरीर (तक के
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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