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इक्कीसवाँ अवगाहना-संस्थान - पद ]
[उ.] गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर ।
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१४७७. एगिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा - पुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे जाव वणस्सइकाइयएगिंदियओरालियसरीरे ।
[१४७७ प्र.] भगवन् ! एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ?
[उ.] गौतम ! वह (एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकारपृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर ।
१४७८. [१] पुढविक्काड्यएगिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - सुहुमपुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे य बादरपुढविक्काइयएगिंदियओरालियसरीरे य ।
[१४७८-१ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है, यथा- सूक्ष्मपृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर और बादरपृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय औदारिकशरीर ।
[ २ ] सुहुमपुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - पज्जत्तगसुहुमपुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे य अपज्जत्तगसुहुमपुढविक्वाइयएगिंदियओरालियसरीरे य ।
[१४७८-२ प्र.] भगवन् ! सूक्ष्मपृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिकशरीरे कितने प्रकार का कहा गया
है ?
[उ.] गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार पर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रियऔदारिकशरीर और अपर्याप्तक-सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर ।
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[३] बादरपुढविक्काइया वि चेव ।
[१४७८-३] इसी प्रकार बादर - पृथ्वीकायिक- (एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर के भी पर्याप्तक और अपर्याप्तक, ये दो भेद समझ लेने चाहिए ।)
१४७९. एवं जाव वणस्सइकाइयएगिंदियओरालिय त्ति ।
[१४७९] इसी प्रकार (अप्कायिक से लेकर) वनस्पतिकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिक- शरीर (तक के