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सत्तरहवाँ लेश्यापद : द्वितीय उद्देशक]
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तिर्यञ्चपंचन्द्रिय) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यायुक्त विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले सम्मूछिमपंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं और उनसे भी कृष्णलेश्या वाले सम्मूछिम-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक विशेषाधिक हैं।
[६] एतेसि णं भंते ! सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा ४ ?
गोयमा ! जहेव पंचमं (सु. ११८० [५]) तहा इमं पि छटुं भाणियव्वं ।
[११८०-६ प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले से लेकर शुक्ललेश्या वाले सम्मूछिम पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों और तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों में से कौन, किनसे अलप, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ?
[११८०-६ उ.] गौतम ! जैसे (स. ११८०-५ में) पंचम (कृष्णादिलेश्यायुक्त तिर्यञ्चयोनिक सम्बन्धी) अल्पबहुत्व कहा है, वैसे ही यह छठा (सम्मूछिम-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों और तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों का कृष्णलेश्यादिविषयक) अल्पबहुत्व कहना चाहिए ।
[७] एतेसि णं भंते ! गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा ४ ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा गब्भवक्वंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा सुक्कलेस्साओ तिरिक्खजोणिणीओ संखेजगुणाओ, पम्हलेस्सा गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया संखेजगुणा, पम्हलेस्साओ तिरिक्खजोणिणीओ, संखेजगुणाओ, तेउलेस्सा० संखेजगुणा, तेउलेस्साओ० संखेजगुणाओ, काउलेस्सा० संखेजगुणा, णीललेस्सा० विसेसाहिया, कण्हलेस्सा० विसेसाहया, काउलेस्साओ० संखेजगुणाओ, णीललेस्साओ० विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ० विसेसाहियाओ।
[११८०-७ प्र.] भगवन् ! इन कृष्णालेश्या वालों से लेकर शुक्ललेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों और तिर्यञ्चस्त्रियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ?
। [११८०-७ उ.] गौतम ! सबसे कम शुक्ललेश्या वाले गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक हैं, उनसे संख्यातगुणी शुक्ललेश्या वाली गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चस्त्रियाँ हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक संख्यातगुणे हैं, उनसे पद्मलेश्या वाली गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चस्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले० संख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्या वाली तिर्यञ्चस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले गर्भजपंचेन्द्रियतिर्यञ्च संख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले (गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यञ्च) संक्ष्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाली (गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चस्त्रियां) विशेषाधिक हैं, उनसे कृणलेश्या वाली (गर्भज-पंचेन्द्रियस्त्रियां) विशेषाधिक हैं ।
[८] एतेसि णं भंते ! सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गब्भवतंतियपंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा ४?