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________________ सोलहवाँ प्रयोगपद] [२४५ ३. अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकशरीरकाय- प्रयोग होते हैं, ४. अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकशरीरकाय- प्रयोगी होते हैं। इस प्रकार ये चार भंग हैं । १. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी, २. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी हैं, ३. अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होता है, ४. अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं । ये (द्विकसंयागी) चार भंग हैं। . १. अथवा कोई एक (मनुष्य) औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और (एक) कार्मणशरीरकाय- प्रयोगी होता है, २. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं, ३. अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है, ४. अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय - प्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकाय - प्रयोगी होते हैं। ये चार भंग हैं । . १. अथवा एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होता हैं, २. अथवा एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, ३. अथवा अनेक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होता है, ४. अथवा अनेक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं। (इस प्रकार) ये चार भंग हैं। १. अथवा एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है, २. अथवा एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, ३. अथवा अनेक आहारकशरीरकायप्रयोगी और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है, ४. अथवा अनेक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं। (इस प्रकार ये) चार भंग हैं। १.अथवा एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है; २. अथवा एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, ३. अथवा अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है; ४. अथवा अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं। ये चार भंग हैं। इस प्रकार (द्विकसंयोगी कुल) चौबीस भंग हुए। ___ १. अथवा एक औदारिकशरीरकाय-प्रयोगी, एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होता हैं, २. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी, एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं, ३. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी, अनेक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होता है; ४. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी अनेक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी औद अनेक
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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