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________________ ४०० ४०१ ४०२ ४०३ ४०४ सत्तरहवाँ पर्याप्तद्वार अठारहवाँ सूक्ष्मद्वार उन्नीसवाँ संज्ञीद्वार बीसवाँ भवसिद्धिद्वार इक्कीसवाँ अस्तिकायद्वार बाईसवाँ चरमद्वार उन्नीसवाँ सम्यक्त्वपद प्राथमिक समुच्चय जीवों के विषय में दृष्टि की प्ररूपणा चौवीस दण्डकवर्ती जीवों और सिद्धों में सम्यक्त्वप्ररूपणा ४०५ ४०६ ४०७ ४०७ बीसवाँ अन्तक्रियापद ४०९ ४१२ ४१३ ४१५ ४१७ ४२० ४२६ प्राथमिक अर्थाधिकार प्रथम-अन्तक्रियाद्वार . द्वितीय-अनन्तरद्वार तृतीय-एकसमयद्वार चतुर्थ उद्वृत्तद्वार असुरकुमारादि की उत्पत्ति की प्ररूपणा पंचम तीर्थकरद्वार छठा चक्रिद्वार सातवाँ ब्लदेवत्वद्वार अष्टम वासुदेवत्वद्वार । नवम माण्डलिकत्वद्वार दशम रत्नद्वार भव्य द्रव्यदेव-उपपात प्रपरूणा असंज्ञि-आयुष्यप्ररूपणा ४३७ ४४१ ४४२ ४४३ ४४३ ४४८ इक्कीसवाँ अवगाहना-संस्यानपद प्राथमिक अर्थाधिकारप्ररूपणा विधि-संस्थान-प्रमाणद्वार औदारिकशरीर में विधिद्वार औदारिकशरीर में संस्थानद्वार औदारिकशरीरों की संस्थानसंबंधी तालिका, [ १७ ] ४५२ ४५२ ४५४ ४६१ ४६६
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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