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________________ १६८] प्रज्ञापनासूत्र ९८५.[१] पुढविकाइयाणं भंते ! कति इंदिया पण्णत्ता? गोयमा ! एगे फासिंदिए पण्णत्ते । [९८५-१ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों के कितनी इन्द्रियाँ कही गई हैं ? [९८५-१ उ.] गौतम ! (उनके) एक स्पर्शनेन्द्रिय (ही) कही है। " [२] पुढविकाइयाणं भंते ! फासिंदिए किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! मसूरचंदसंठिए पण्णत्ते । [९८५-२ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय किस आकार (संस्थान) की कही गई है ? [९८५-२ उ.] गौतम ! (उनकी स्पर्शनेन्द्रिय) मसूर-चन्द्र के आकार की कही है। [३] पुढविकाइयाणं भंते ! फासिंदिए केवतियं बाहल्लेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! अंगुलस्स असंखेजइभागं बाहल्लेणं पण्णत्ते ।। [९८५-३ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय का बाहल्य (स्थूलता) कितमा कहा गया है ? [९८५-३ उ.] गौतम ! (उसका) बाहल्य अंगुल से असंख्यातवें भाग (-प्रमाण) कहा है। [४] पुढविकाइयाणं भंते ! फासिंदिए कतिपएसिए पण्णत्ते ? गोयमा ! अणंतपएसिए पण्णत्ते । [९८५-५ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय कितने प्रदेशों की कही हैं ? [९८५-५ उ.] गौतम ! अनन्तप्रदेशी कही गई है । [६] पुढविकाइयाणं भंते ! फासिंदिए कतिपएसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेजपएसोगाढे पण्णत्ते । [९८५-६ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय कितने प्रदेशों में अवगाढ कही है ? [९८५-६ उ.] गौतम ! असंख्यातप्रदेशों में अवगाढ कही है। [७] एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं फासिंदियस्स ओगाहण-पएसट्ठयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवे पुढविकाइयाणं फासिदिए ओगाहणट्ठयाए, से चेव पएसट्ठयाए अणंतगुणे। [९८५-७ प्र.] भगवन् ! इन पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय, अवगाहना की अपेक्षा और प्रदेशों की
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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