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________________ १३४ ] [प्रज्ञापनासूत्र [९३३ प्र.] भगवन् ! ज्ञानपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? __ [९३३ उ.] गौतम ! (ज्ञानपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है - (१)आभिनिबोधिकज्ञानपरिणाम, (२) श्रुतज्ञानपरिणाम, (३)अवधिज्ञानपरिणाम, (४) मनपर्यवज्ञानपरिणाम और (५)केवलज्ञानपरिणाम। ९३४. अण्णाणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्ण्त्ते । तं जहा - मतिअण्णाणपरिणामे १ सुयअण्णाणपरिणामे २ विभंगणाणपरिणामे ३ । [९३४ प्र.] भगवन् ! अज्ञानपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९३४ उ.] गौतम ! (अज्ञानपरिणाम ) तीन प्रकार का कहा गया है. वह इस प्रकार है - (१) मतिअज्ञानपरिणाम, (२) श्रुत-अज्ञानपरिणाम और (३) विभंगज्ञानपरिणाम। ९३५. दंसणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते?. गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते । तं जहा - सम्मइंसणपरिणामे १ मिच्छादसणपरिणामे २ सम्मामिच्छादसणपरिणामे ३ । [९३५ प्र.] भगवन् ! दर्शनपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९३५ उ.] गौतम! (दर्शनपरिणाम) तीन प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - (१) सम्यग्दर्शनपरिणाम, (२) मिथ्यादर्शनपरिणाम और (३) सम्यग्मिथ्यादर्शनपरिणाम। ९३६. चरित्तापरिणामे णं भंते । कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते। तं जहा - सामाइयचरित्तपरिणामे १ छेदोवट्ठावणियचरित्तपरिणामे २ परिहारविसुद्धियचरित्तपरिणामे ३ सुहुमसंपरायचरित्तपरिणामे ४ अहक्खायचरित्तपरिणामे । [९३६ प्र.] भगवन् ! चारित्रपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९३६ उ.] गौतम ! (चारित्रपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - (१) सामायिकचारित्रपरिणाम, (२) छेदोपस्थापनीयचारित्रपरिणाम, (३) परिहारविशुद्धिचारित्रपरिणाम, (४)सूक्ष्मसम्परायचारित्रपरिणाम और (५) यथाख्यातचारित्रपरिणाम । ९३७. वेयपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते । तं जहा - इत्थिवेयपरिणामे १ पुरिसवेयपरिणामे २ णपुंसगवेयपरिणामे ३। [९३७ प्र.] भगवन् ! वेदपरिणाम कितने प्रकार का कहा जाता है ?
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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