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________________ नौवाँ योनिपद ] [५४१ ७४९. सम्मुच्छिममणुस्साणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ? । गोतम ! तिविहा वि जोणी । [७४९ प्र.] भगवन् ! सम्मूछिम मनुष्यों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है, अथवा शीतोष्ण योनि होती है ? [७४९ उ.] गौतम! उनकी तीनों प्रकार की योनि होती है। ७५०. गब्भवक्कंतियमणुस्साणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ? गोयमा! नो सीता जोणी, नो उसिणा जोणी, सीतोसिणा जोणी। [७५० प्र.] भगवन्! गर्भज मनुष्यों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है अथवा शीतोष्ण योनि होती है ? [७५० उ. गौतम! उनकी न तो शीत योनि होती है, न उष्ण योनि होती है, किन्तु शीतोष्ण योनि होती है ? ७५१. वाणमंतरदेवाणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ? गोतम! नो सीता, नो उसिणा जोणी, सीतोसिणा जोणी। [७५१ प्र.] भगवन्! वाणव्यन्तर देवों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है, अथवा शीतोष्ण योनि होती है ? [७५१ उ.] गौतम! उनकी न तो शीत योनि होती है और न ही उष्ण योनि होती है, किन्तु शीतोष्ण योनि होती है। ७५२. जोइसिय-वेमाणियाण वि एवं चेव। [७५२] इसी प्रकार ज्योतिष्कों और वैमानिक देवां की (योनि के विषय में समझना चाहिए) ७५३. एतेसि णं भंते! जीवाणं सीतजोणियाणं उसिणजोणियाणं सीतोसिणजोणियाणं अजोणियाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोतमा! सव्वत्थोवा जीवा सीतोसिणजोणिया, उसिणजोणिया असंखेज्जगुणा, अजोणिया अणंतगुणा, सीतजोणिया अणंतगुणा॥१॥ [७५३ प्र.] भगवन् ! इन शीतयोनिकों जीवों उष्णयोनिक जीवों, शीतोष्णयोनिक जीवों तथा अयोनिक जीवों में से कौन किनसे अल्प हैं, बहुत हैं, तुल्य हैं अथवा विशेषाधिक हैं ? [७५३ उ.] गौतम! सबसे थोड़े जीव शीतोष्णयोनिक हैं, उष्णयोनिक जीव उनसे असंख्यातगुणे अधिक हैं, उनसे अयोनिक जीव अनन्तगुणे अधिक हैं ओर उनसे भी शीतयोनिक जीव अनन्तगुणे हैं ॥१॥ ___विवेचन—नैरयिकादि जीवों का शीतादि त्रिविध योनियों की दृष्टि से विचार—प्रस्तुत सोलह सूत्रों (सू. ७३८ से ७५३ तक) में नैरयिकों से लेकर वैमानिकों तक चौबीस दण्डकवर्ती जीवों का शीत, उष्ण एवं शीतोष्ण, इन त्रिविध योनियों की दृष्टि से विचार किया गया है।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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