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________________ ५४०] [प्रज्ञापना सूत्र [७४२ उ.] गौतम! उनकी शीत योनि भी होती है, उष्ण योनि भी होती है और शीतोष्ण योनि भी होती है। ७४३. एवं आउ-वाउ-वणस्सति-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाण वि पत्तेयं भाणियव्वं। [७४३] इसी तरह अप्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों की प्रत्येक की योनि के विषय में कहना चाहिए। ७४४. तेउक्काइयाणं नो सीता, उसिणा, नो सीतोसिणा। [७४४] तेजस्कायिक जीवों की शीत योनि नहीं होती, उष्ण योनि होती है, शीतोष्ण योनि नहीं होती। ७४५. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी? गोयमा! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा वि जोणी। [७४५ प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीवों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है, अथवा शीतोष्ण योनि होती है ? [७४५ उ.] गौतम! (उनकी) योनि शीत भी होती है, उष्ण भी होती है और शीतोष्ण भी होती है। ७४६. सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं एवं चेव। [७४६] सम्मूच्छिम पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों (की योनि) के विषय में भी इसी तरह (कहना चाहिए।) ७४७. गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी? गोयमा! नो सीता जोणी, नो उसिणा जोणी, सीतोसिणा जोणी। [७४७ प्र.] भगवन् ! गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है या शीतोष्ण योनि होती है ? [७४७ उ.] गौतम! उनकी न तो शीत योनि होती है, न उष्ण योनि होती है, किन्तु शीतोष्ण योनि होती है। ७४८. मणुस्साणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ? गोयमा! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा वि जोणी। [७४८ प्र.] भगवन् ! मनुष्यों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है अथवा शीतोष्ण योनि होती है ? _[७४८ उ.] गौतम! मनुष्यों की शीत योनि भी होती है, उष्ण योनि भी होती है और शीतोष्ण योनि भी होती है।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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