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णवमं जोणिपयं
नौवाँ योनिपद
शीतादि विविध योनियों की नारकादि में प्ररूपणा
७३८. कतिविहा णं भंते ! जोणी पण्णत्ता ?
गोयमा! तिविहा जोणी पण्णत्ता। तं जहा–सीता जोणी १ उसिणा जोणी २ सीतोसिणा जोणी ३।
[७३८ प्र.] भगवन् ! योनि कितने प्रकार की कही गई हैं ?
[७३८ उ.] गौतम! योनि तीन प्रकार की कही गई हैं। वह इस प्रकार—शीत योनि, उष्ण योनि और शीतोष्ण योनि।
७३९. नेरइयाणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?
गोयमा! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, नो सीतोसिणा जोणी। . [७३९ प्र.] भगवन् ! नैरयिकों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है अथवा शीतोष्ण योनि होती है ?
[७३९ उ.] गौतम! (नैरयिकों की) शीत योनि भी होती है और उष्ण योनि भी होती है, (किन्तु) शीतोष्ण योनि नहीं होती।
७४०. असुरकुमाराणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ? गोयमा! नो सीता, नो उसिणा, सीतोसिणा जोणी।
[७४० प्र.] भगवन् ! असुरकुमार देवों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है अथवा शीतोष्ण योनि होती है?
[७४० उ.] गौतम! उनकी न तो शीत योनि होती है और न ही उष्ण योनि होती है, (किन्तु) शीतोष्ण योनि होती है।
७४१. एवं जाव थणियकुमाराणं। [७४१] इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक (की योनि के विषय में समझना चाहिए।) ७४२. पुढविकाइयाणं भंते! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी? गोयमा! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा वि जोणी।
[७४२ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है अथवा शीतोष्ण योनि होती है ?