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________________ ५२४] [प्रज्ञापना सूत्र [७११ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः उन्नीस पक्षों में और उत्कृष्टतः बीस पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं। ७१२. आरणदेवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं वीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं एगवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७१२ प्र.] भगवन् ! आरणकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं? . [७१२ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः बीस पक्षों में और उत्कृष्टतः इक्कीस पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं। ___७१३. अच्चुयदेवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं एक्कवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं बावीसाए, पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७१३ प्र.] भगवन् ! अच्युतकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं ? . [७१३ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः इक्कीस पक्षों में और उत्कृष्टतः बाईस पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं। ७१४. हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहन्नेणं बावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं तेवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७१४ प्र.] भगवन् ! अधस्तन-अधस्तनौवेयक देव कितने काल से (आन्तरिक) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? [७१४ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः बाईस पक्षों में और उत्कृष्टतः तेईस पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) निःश्वास लेते हैं। ७१५. हेट्ठिममज्झिमगेषेज्जगदेवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं तेवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं चउवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७१५ प्र.] भगवन् ! अधस्तन-मध्यमग्रैवेयक देव कितने काल से (आन्तरिक) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं ? [७१५ उ.] गौतम ! (वे) जघन्यतः तेईस पक्षों में और उत्कृष्टत: चौबीस पक्षों में (अन्त:स्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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