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________________ सप्तम उच्छ्वासपद ] [५२३ [७०७ प्र.] भगवन् ! लान्तककल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) निःश्वास लेते हैं ? [७०७ उ.] गौतम! (वे) जघन्य दस पक्षों में और उत्कृष्ट चौदह पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं। ७०८. महासुक्कदेवा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं चोदसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं सत्तरसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७०८ प्र.] भगवन्! महाशुक्रकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) निःश्वास लेते हैं ? [७०८ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः चौदह पक्षों में और उत्कृष्टतः सत्रह पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित)नि:श्वास लेते हैं। ७०९. सहस्सारगदेवा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं सत्तरसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं अट्ठारसण्हं पक्खाणं जावं नीससंति वा। [७०९ प्र.] भगवन् ! सहस्रारकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) निःश्वास लेते हैं ? [७०९ उ.] गौतम! (वे) जघन्य सत्रह पक्षों में और उत्कृष्ट अठारह पक्षों में (अन्तःस्फुरित)उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं। ७१०. आणयदेवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं अट्ठारसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं एक्कूणवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७१० प्र.] भगवन् ! आनतकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं ? [७१० उ.] गौतम! (वे) जघन्य अठारह पक्षों में और उत्कृष्ट उन्नीस पक्षों में (अन्त:स्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं। ___७११. पाणयदेवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं एगूणवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं वीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७११. प्र.] भगवन् ! प्राणतकल्प के देव कितने काल से (अन्त:स्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्यस्फुरित) नि:श्वास लेते हैं ?
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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