SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 623
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [प्रज्ञापना सूत्र ५२२] गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगस्स मुहूत्तपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं सातिरेगाणं दोण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७०३ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? [७०३ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः सातिरेक (कुछ अधिक) मुहूर्तपृथक्त्व में और उत्कृष्टतः सातिरेक (कुछ अधिक) दो पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं। ७०४. सणंकुमारदेवा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं दोण्हं पक्खाणं जाव णीससंति वा, उक्कोसेणं सत्तण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७०४ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमार देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? [७०४ उ.] गौतम! वे जघन्यतः दो पक्ष में (अन्तः स्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं और उत्कृष्टतः सात पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं। ७०५. माहिंदगदेवा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगाणं दोण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं सातिरेगाणं सत्तण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७०५ प्र.] भगवन् ! माहेन्द्रकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? [७०५ उ.] गौतम! (वे)जघन्यतः सातिरेक (कुछ अधिक) दो पक्षों में और उत्कृष्टतः सातिरेक (कुछ अधिक) सात पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं। ७०६. बंभलोगदेवा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा? गोयमा! जहण्णेणं सत्तण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं दसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा। [७०६ प्र.] भगवन् ! ब्रह्मलोककल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं ? [७०६ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः सात पक्षों में और उत्कृष्टत: दस पक्षों में (अन्त:स्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं। ७०७. लंतगदेवा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं दसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं चोद्दसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy