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सप्तम उच्छ्वासपद ]
[५२१ [६९७ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव कितने काल से(अन्तःस्फुरित) श्वासोच्छ्वास लेते हैं एवं (बाह्य) उच्छ्वास तथा नि:श्वास लेते हैं ?
[६९७ उ.] गौतम ! (पृथ्वीकायिक जीव) विमात्रा (अनियतकाल) से (अन्तःस्फुरित) श्वासोच्छ्वास लेते हैं एवं (बाह्य) उच्छ्वास तथा नि:श्वास लेते हैं।
६९८. एवं जाव मणूसा।
[६९८] इसी प्रकार (अप्कायिक से लेकर) यावत् मनुष्यों तक (के आन्तरिक एवं बाह्य श्वासोच्छ्वास के विषय में जानना चाहिए।)
६९९. वाणमंतरा जहा णागकुमारा।
[६९९] वाणव्यन्तर देवों के (आन्तरिक एवं बाह्य उच्छ्वास और नि:श्वास के विषय में) नागकुमारों के (उच्छ्वास-नि:श्वास) के समान (कहना चाहिए।)
७००. जोइसिया णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं मुहत्तपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं वि मुहत्तपुहुत्तस्स जाव नीससंति वा। - [७०० प्र.] भगवन् ! ज्योतिष्क (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास-नि:श्वास एवं (बाह्य) श्वासोच्छ्वास कितने काल से लेते हैं ?
[७०० उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः मुहूर्त्तपृथक्त्व और उत्कृष्टतः भी मुहूर्तपृथक्त्व से (आन्तरिक और बाह्य) उच्छ्वास और नि:श्वास लेते हैं।
७०१. वेमाणिया णं भंते! केवइकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं मुहूत्तपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा।
[७०१ प्र.] भगवन् ! वैमानिक देव कितने काल से (अन्तः स्फुरित) उच्छ्वास और नि:श्वास लेते हैं तथा (बाह्य) उच्छवास एवं निःश्वास लेते हैं?
[७०१ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः मुहूर्त्तपृथक्त्व में और उत्कृष्टतः तेतीस पक्ष में (आन्तरिक एवं बाह्य) उच्छ्वास तथा नि:श्वास लेते हैं।
७०२. सोहम्मगदेवा णं भंते! केवइकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं मुहत्तपत्तस्स, उक्कोसेणं दोण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा।
[७०२ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं?
__[७०२ उ.] गौतम! जघन्य मुहूर्तपृथक्त्व में, उत्कृष्ट दो पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) नि:श्वास लेते हैं।
७०३. ईसाणगदेवा णं भंते! केवइकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ?