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सत्तमं उस्सासपयं
सप्तम उच्छ्वासपद
६९३. नेरइया णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ? गोयमा सततं संतयामेव आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ।
[ प्रज्ञापना सूत्र
[६९३ प्र.] भगवन् ! नैरयिक कितने काल से अन्तःस्फुरित उच्छ्वास और निःश्वास लेते हैं तथा बाह्यस्फुरित उच्छ्वास (ऊँचा श्वास) और नि:श्वास (नीचा श्वास ) लेते हैं ? ( अथवा उच्छ्वास अर्थात् श्वास लेते और नि:श्वांस अर्थात् श्वास छोड़ते हैं । )
[६९३ उ.] गौतम ! वे सतत सदैव निरन्तर अन्तःस्फुरित उच्छ्वास - नि:श्वास एवं बाह्य स्फुरित उच्छ्वास - नि:श्वास लेते रहते हैं
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६९४. असुरकुमारा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति व पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति
वा ?
गोयमा ! जहणणेणं सत्तण्हं थोवाणं, उक्कोसेणं सातिरेगस्स पक्खस्स वा आणमंति वा जाव नीससंति वा ।
[३९४ प्र.] भगवन्! असुरकुमार देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास और नि:श्वास लेते है तथा बाह्यस्फुरित उच्छ्वास- नि:श्वास क्रिया करते हैं ।
[३९५उ.] गौतम! वे जघन्यतः सात स्तोक में और उत्कृष्ट सातिरेक एक पक्ष में (अन्त:स्फुरित) उच्छ्वास और नि:श्वास लेते हैं तथा (बाह्य) उच्छ्वास एवं निःश्वास लेते हैं ।
६९५. णागकुमारा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति
वा ?
गोयमा ! जहणेणं सतहं थावाणं उक्कोसेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स ।
[६९५ प्र.] भगवन् ! नागकुमार कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास और नि:श्वास लेते हैं तथा (बाह्य) उच्छ्वास और नि:श्वास लेते हैं ?
[६९५ उ.] गौतम! वे जघन्य सात स्तोक में और उत्कृष्टत: मुहूर्त्तपृथक्त्व में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास और नि:श्वास लेते हैं तथा (बाह्य) उच्छ्वास एवं नि:श्वास लेते हैं ।
६९६. एवं जाव थणियकुमाराणं ।
[६९६] इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमार तक के उच्छ्वास - नि:श्वास के विषय में समझ लेना चाहिए । ६९७. पुढविकाइया णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा! वेमायाए आणमंति वा जाव नीससंति वा ।