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छठा व्युत्क्रान्तिपद ]
[५०७ गोयमा! एगिदियतिरिक्खजोणिएसु उववजंति, नो बेइंदिएसु जाव नो चउरिदिएसु उववजंति, पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जति।
[६६८-२ प्र.] (भगवन्!) यदि (वे) तिर्यञ्चयोनिकों में उत्पन्न होते हैं तो क्या वे एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं, यावत् पंचेन्द्रियो तिर्यञ्चयोनिकों में उत्पन्न होते हैं ?
[६६८-२ उ.] गौतम! (वे) एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में उत्पन्न होते हैं, किन्तु द्वीन्द्रियों में त्रीन्द्रियों में और चतुरिन्द्रियों में उत्पन्न नहीं होते, (वे) पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में उत्पन्न होते हैं।
[३] जति एगिदिएसु उववजंति किं पुढविकाइयएगिदिएसु जाव वणस्सइकाइयएगिदिएसु उववजंति ?.
गोयमा! पुढविकाइयएगिदिएसु वि आउकाइयएगिदिएसु वि उववज्जंति, नो तेउकाइएसु नो वाउकाइएसु उववजंति, वणस्सइकाइएसु उववजंति।
[६६८-३ प्र.] (भगवन्!) यदि (वे) एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं तो क्या पृथ्वीकायिक एकेन्द्रियों में यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं ?
[६६८-३ उ.] गौतम! (वे) पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय में उत्पन्न होते हैं, अप्कायिक एकेन्द्रियों में भी उत्पन्न होते हैं, किन्तु न तो तेजस्कायिक एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं और न वायुकायिक एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं, परन्तु वनस्पतिकायिक एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं।
[४] जति पुढविकाइएसु उववजंति किं सुहुमपुढविकाइएसु उववजंति? बादरपुढविकाइएसु उववजंति ?
गोयमा! बादरपुढविकाइएसु उववजंति, नो सुहुमपुढविकाइएसु।
[६६८-४ प्र.] (भगवन्!) यदि (वे) पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं तो क्या सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं, या बादरपृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं ?
[६६८-४ उ.] गौतम! (वे) बादरपृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न नहीं होते हैं।
[५] जइ बादर पुढविकाइएसु उववजंति किं पज्जत्तगबादरपुढविकाइएसु उववज्जति? अपज्जत्तगबादरपुढविकाइएसु उववजंति ?
गोयमा! पज्जत्तएसु उववजंति, नो अपज्जत्तएसु ।
[६६८-५ प्र.] भगवन् ! यदि बादर पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं तो क्या (वे) पर्याप्तक बादर पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं, या अपर्याप्तक बादर पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते हैं ?
[६६८-५ उ.] गौतम! (वे) पर्याप्तकों में उत्पन्न होते हैं, किन्तु अपर्याप्तकों में उत्पन्न नहीं होते।
१. ग्रन्थाग्रम ३५००