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________________ ५०२] [प्रज्ञापना सूत्र गोयमा! गब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववजंति, नो सम्मुच्छिममणुस्सेहितो। [६६२-२ प्र.] (भगवन् !) यदि (वे) मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूछिम मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, (अथवा) गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं। [६६२-२ उ.] गौतम! (वे आणत देव) गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, किन्तु संमूछिम मनुष्यों से उत्पन्न नहीं होते । [३] जति गब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववजंति किं कम्मभूमगेहिंतो उववजंति ? अकम्मभूमगेहिंतो उववज्जति ? अंतरदीवगेहिंतो उववजंति ? ___ गोयमा! कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसेहिंतो उववजंति, नो अकम्मभूमगेहिंतो उववजंति, नो अंतरदीवगेहितो। [६६२-३ प्र.] (भगवन्!) यदि (वे) गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या कर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, (या) अकर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, (अथवा)अन्तर्वीपज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं ? __[६६२-३ उ.] गौतम! (वे) कर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, किन्तु न तो अकर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं और न अन्तर्वीपज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं। [४] जई कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहितो उववजंति किं संखेन्जवासाउएहितो उववजंति ? असंखेज्जवासाउएहितो उववजंति ? गोयमा! संखेन्जवासाउएहितो, नो असंखेन्जवासाउएहितो उववजंति। [६६२-४ प्र.] (भगवन् !) यदि (वे) कर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या संख्यातवर्ष की आयु वाले कर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, या असंख्यातवर्ष की आयु वाले कर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं ? [६६२-४ उ.] गौतम! (वे) संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, किन्तु असंख्यातवर्ष की आयु वाले कर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न नहीं होते। [५] जति संखेन्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववजंति किं पज्जत्तएहितो, अपज्जत्तएहितो उववज्जंति ? गोयमा! पज्जत्तगसंखेन्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसेहिंतो उववजंति णो अपज्जत्तएहितो। ___[६६२-५ प्र.] (भगवन्!) यदि संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिक गर्भज मनुष्यों से (वे आनत देव) उत्पन्न होते हैं तो क्या वे पर्याप्तकों से या अपर्याप्तकों से उत्पन्न होते हैं ? [६६२-५ उ.] गौतम! (वे) पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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