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________________ [ प्रज्ञापना सूत्र [६३९-२२ उ.] गौतम! (वे) पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क गर्भज खेचर- पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं (किन्तु ) अपर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न नहीं होते । ४९० ] [२३] जति मणुस्सेहिंतो उववज्जंति किं सम्मुच्छिममणुस्सेहिंतो उववज्र्ज्जति ? गब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्र्ज्जति ? गोयमा! नो सम्मुच्छिममणुस्सेहिंतो उववर्ज्जति, गब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्र्ज्जति । [६३९-२३ प्र.] (भगवन्!) यदि (वे) मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो क्या सम्मूच्छिम मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, अथवा गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं ? [६३९-२३ उ.] गौतम! (वे) सम्मूच्छिम मनुष्यों से उत्पन्न नहीं होते, गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं। [२४] जइ गब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्र्ज्जति किं कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्र्ज्जति ? अक्रम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्र्ज्जति ? अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्जंति ? गोयमा! कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्र्ज्जति, नो अम्मभूमगगब्भवक्कंतियमगुस्सेहिंतो उववज्जंति, नो अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्र्ज्जति । [६३९-२४ प्र.] (भगवन्!) यदि (वे) गर्भज मनुयों से उत्पन्न होते हैं तो क्या कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, या अकर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं अथवा अन्तद्वपज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं ? [६३९-२४ उ.] गौतम! (वे) कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, ( किन्तु ) न तो अकर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं और न अन्तद्वपज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं । [ २५ ] जति कम्मभूमगगब्भवक्कं तियमणुस्सेहिंतो उववज्जंति किं संखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जंति ? असंखेज्जवासाउएहिंतो उववज्र्ज्जति ? गोयमा! संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसेहिंतो उववज्जंति, नो असंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कतियमणुसेहिंतो उववज्जंति । [६३९-२५ प्र.] (भगवन् !) यदि कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो क्या संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, अथवा असंख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं ? [६३९-२५ उ.] गौतम! (वे) संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, किन्तु असंख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न नहीं होते ।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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