________________
. ४८८ ]
[ प्रज्ञापना सूत्र
[ १६ ] जति भुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति कि सम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? गब्भवक्कं तियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा ! दोहिंतो वि उववज्जंति ।
[६३९-१६ प्र.] (भगवन्!) यदि (वे) भुजपरिसर्प - स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या (वे) सम्मूच्छिम - भुजपरिसर्प - स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं अथवा गर्भज-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं ?
[६३९-१६.उ.] गौतम! (वे) दोनों से ( सम्मूर्च्छिम-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से भी, तथा गर्भ- भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से ) भी उत्पन्न होते हैं । * [१७] जति सम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो
उववज्जंति किं पज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ? अपज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा! पज्जत्तएहिंतो उववज्जंति, नो अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति ।
[६३९-१७ प्र.](भगवन्!) यदि सम्मूर्च्छिम - भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या (वे) पर्याप्तक- सम्मूर्च्छिम-स्थलचर- पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, अथवा अपर्याप्तक-सम्मूर्च्छिम-भुजपरिसर्प-पंचेन्द्रिय - तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं ?
[ ६३९-१७ उ.] गौतम! (वे) पर्याप्तक-सम्मूर्च्छिम-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु ) अपर्याप्तक- सम्मूर्च्छिम - भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न नहीं होते ।
[ १८ ] जति गब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं पज्जत्तएहिंतो ? अपज्जत्तएहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा ! पज्जत्तएहिंतो उववज्र्ज्जति, नो अपज्जत्तएहिंतो उववज्र्ज्जति ।
[६३९-१८ प्र.] (भगवन्!) यदि गर्भज-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या (वे नारक) पर्याप्तक - गर्भज-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, या अपर्याप्तक- गर्भज - भुजपरिसर्प-स्थलचर- पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ?
[६३९-१८ उ.] गौतम! पर्याप्तक- गर्भज-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु ) अपर्याप्तक-गर्भज-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न नहीं होते । [ १९ ] जति खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्र्ज्जति किं सम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्र्ज्जति ? गब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ?