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________________ ४८४] [प्रज्ञापना सूत्र [४] जइ जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति? गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ? गोयमा! सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववजंति, गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदिएहितो वि उववति। [६३९-४ प्र.] (भगवन् !) यदि (वे नारक) जलचरपंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूछिम जलचर पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं? या गर्भज जलचरपंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं ? । [६३९-४ उ.] गौतम! (वे) सम्मूछिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से भी उत्पन्न होते हैं और । गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से भी उत्पन्न होते हैं। [५] जति सम्मुच्छिमजलयर पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं पजत्तयसम्मच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ? अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति ? ... गोयमा! पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयर पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति, नो अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति। । . [६३९-५ प्र.] (भगवन् !) यदि (वे नारक) सम्मूच्छिमजलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या पर्याप्तक सम्मूछिमजलचरपंचन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं अथवा अपर्याप्तक सम्मूछिमजलचयरपंचेन्द्रितिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं ? .. ... [६३९-५ उ.] गौतम! पर्याप्तक सम्मूछिमजलचरपंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तक सम्मूर्च्छिमजलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न नहीं होते। [६] जति गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिं तो उववजंति किं पज्जत्तगगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदिएहितो उववजंति ? अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदिएहितो उववजंति ? गोयमा! पज्जत्तयगब्भवक्कं तियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, नो अपज्जत्तगगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति। ____ [६३९-६ प्र.] भगवन्! यदि गर्भज-जलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से (नारक) उत्पन्न होते हैं तो क्या पर्याप्तक-गर्भज-जलचर-पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं (अथवा) अपर्याप्तकगर्भजजलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं ? - [६३९-६ उ.] गौतम! (वे) पर्याप्तक-गर्भज-जलचर-पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तकगर्भज-जलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न नहीं होते।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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